‘फ्रीडम 251’: दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन की हकीकत

‘फ्रीडम 251’: दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन की हकीकत
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todaybhaskar.com
एक स्मार्टफोन जो एक पैकेट सिगरेट की कीमत से भी सस्ती है. रिंगिंग बेल्स ने ‘फ्रीडम 251’ के नाम से जो स्मार्टफोन लॉन्च किया, उसका ऑफर प्राइस किसी सपने की तरह है. टेलीकॉम जगत से लेकर कारोबार की दुनिया तक कोई इस कीमत पर विश्वास नहीं कर रहा. लेकिन अब तीन महीने के भीतर 50 लाख फोन की डिलिवरी होनी है. सच्चाई है क्या? क्या ये भारतीय टेलीकॉम उद्योग में क्रांति लाने वाला नया प्रॉडक्ट है? या फिर यह पोंजी स्कैम है? या फिर यह कि सच्चाई कहीं और ही छिपी है?
स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम ने इस रहस्य की गुत्थी सुलझाई है. ‘फ्रीडम 251’ के सच के पता लगाने के लिए हमारी टीम ने ऑपरेशन की शुरुआत की दिल्ली के कीर्ति नगर में स्थित एडकॉम कंपनी के दफ्तर से. आपको बता दें कि एडकॉम या एडवांटेज कम्युनिकेशन मोबाइल फोन और टैबलेट की निर्माता और वितरक है.

रिंगिंग बेल्स ने एडकॉम से खरीदा फोन!
हमारी टीम एडकॉम के मालिक संजीव भाटिया से मिलती है. भाटिया ने हमें बताया कि जिस फोन को अपना बताकर रिंगिंग बेल्स टेलीविजन चैनलों पर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, दरअसल वो एडकॉम से खरीदा गया है. वह कहते हैं, ‘देखिए हमारे पास ऑर्डर आया, हमने उसको माल दिया. हमने निश्च‍िय ही इसके एवज में पैसे लिए, क्योंकि हमारे बीच इससे पहले कोई इंटरेक्शन नहीं था. यह सब लॉन्च से करीब 2-3 दिन पहले हुआ. तब तक हमें मालूम नहीं था कि FREEDOM 251 करके कुछ है.’
भाटिया ने आगे कहा कि उन्होंने ही फोन को सप्लाई किया है. यही नहीं उन्होंने कहा, ‘आप चाहें तो हमारा पूरा यूनिट देख सकते हैं. हमारी फैक्टरी में इसका प्रोडक्शन चल रहा है इसी मॉडल का. अगर आप जाना चाहेंगे तो आपको अपनी फैक्ट्री में विजिट करवा सकता हूं.

हमने सिर्फ पैनल खरीदा: रिंगिंग बेल्स
एडकॉम के दावों की जांच करने हमारी टीम अब नोएडा के सेक्टर 63 स्थित रिंगिंग बेल्स के दफ्तर पहुंचती है. जब हमने रिंगिंग बेल्स के प्रेसीडेंट अशोक चड्ढा से एडकॉम के दावे में पूछा तो वो तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गए. चड्ढा को ये मानना पड़ा कि फोन दूसरी कंपनी से खरीदा गया था. लेकिन फिर भी उन्होंने जोर दिया कि एडकॉम से सिर्फ पैनल खरीदा गया, जबकि फोन के बाकी हिस्सों को रिंगिंग बेल्स ने ही असेंबल किया है.

जब ‘आज तक’ ने और कुरेदा तो रिंगिंग बेल्स को मानना पड़ा कि फोन उनका नहीं है. लेकिन उन्होंने ये भी दावा कर दिया कि सिर्फ टच प्लेट कहीं और से खरीदा गया था, जबकि फोन का बाकी हिस्सा यहीं अंसेबल किया गया. हालांकि इस दावे पर भी एडकॉम ने सवाल खड़े कर दिए.

‘असली नाम है आइकॉन-4 व्हाइट’
एडकॉम के संजीव भाटिया ने हमें बताया कि बात सिर्फ एक पार्ट की नहीं है, बल्कि पूरा फोन एडकॉम से खरीदा गया था. भाटिया के मुताबिक ‘फ्रीडम 251’ वास्तव में ‘आइकॉन-4 व्हाइट’ है. भाटिया के मुताबिक रिंगिंग बेल्स ने पैनल से आइकॉन-4 का ब्रांड नेम मिटा दिया और अपना स्टिकर चिपका दिया. एडकॉम का दावा है कि उसने रिंगिंग बेल्स को 3600 रुपये में प्रति स्मार्ट फोन बेचा था.

संजीव भाटिया ने कहा, ‘ये धोखा है और हमें कुछ नुकसान होता है तो निश्चि‍त तौर पर हमलोग उनको कोर्ट में घसीटेंगे. लीगल एक्शन लेंगे. मोबाइल खोलकर तो जैसे अंदर में देखेंगे IMEI नंबर वगैरह…बैटरी हमारी ही है. इसके ऊपर कवर चढ़ाया है. ये हमारी बैटरी है उसके ऊपर स्टीकर या कवर चढाया है.

3600 का फोन 251 में कैसे?
वास्तव में ये अबूझ पहेली की तरह है कि कैसे एक कंपनी 3600 रुपये में मोबाइल खरीदकर 251 रुपये में बाजार में बेचने जा रही है? एडकॉम के मालिक के बयान ने रिंगिंग बेल्स के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. तो क्या रिंगिंग बेल्स सिर्फ भ्रम का गुब्बारा उड़ा रहा है या फिर इसके पीछे कुछ और है?

दो कंपनियों को दिया है असेंबलिंग का जिम्मा
रिंगिंग बेल्स ने हमें बताया कि ‘फ्रीडम 251’ मोबाइल फोन की असेंबलिंग के लिए कंपनी ने दिल्ली के पास दो और मुंबई के पास एक प्रॉडक्शन यूनिट को जिम्मा सौंपा है. ये कंपनी हैं वाई टेक्नोलॉजी और इमिनेंस टेक्नोलॉजी. रिंगिंग बेल्स मैनेजमेंट ने हमें ये भी बताया कि वो 251 रुपये के फोन की 50 लाख यूनिट का ऑर्डर पहले ही दे चुके हैं. कंपनी का दावा है कि फोन की बिक्री इसी साल जून में शुरू हो जाएगी.

अभी तक असेंबलिंग शुरू करने की इजाजत नहीं
50 लाख फोन का निर्माण कार्य कैसा चल रहा है? ये जानने के लिए हम सबसे पहले एमिनेंस टेक्नोलॉजी के दफ्तर ग्रेटर नोएडा पहुंचे. यहां हम कंपनी की निदेशक निधि खुल्लर से मिले. निधि ने खुलासा किया कि धमाकेदार लॉन्चिंग से महज पांच दिन पहले रिंगिंग बेल्स ने उनसे संपर्क साधा था. निधि ने ये भी बताया कि अब तक उन्हें असेंबलिंग शुरू करने के लिए रिंगिंग बेल्स से हरी झंडी भी नहीं मिली है.

इसके बाद हम वाई टेक्नोलॉजी के बिजनेस हेड प्रभुप्रीत सिंह से मिलने दिल्ली के जनकपुरी पहुंचे. उन्होंने भी बताया कि अब तक 251 रुपये के फोन का प्रॉडक्शन शुरू नहीं हुआ है.

90 दिन में 50 लाख फोन, लेकिन कैसे?
ऐसा माना जाता है कि दोनों प्रॉडक्शन यूनिट को नब्बे दिनों में 50 लाख फोन का उत्पादन करना है. जबकि असेंबलिंग का काम अभी शुरू भी नहीं हुआ है. रिंगिंग बेल्स ने अब तक किसी ग्राहक का पैसा नहीं मारा है. कंपनी का कहना है कि डिलीवरी के वक्त ही नकद पैसा लेगी. लेकिन ‘आज तक’ की जांच से साफ है कि ग्राहकों को ‘फ्रीडम 251’ के निर्माताओं के लंबे-चौड़े दावों से सावधान रहने की जरूरत है.

क्या कहते हैं आलोचक
पिछले दिनों रंगारंग लॉन्च‍िंग के बाद रिंगिंग बेल्स कंपनी की मैनेजमेंट टीम यह बताने के लिए हमारे स्टूडियो में थी कि कैसे देसी निर्माण से स्मार्ट फोन की कीमत बेहद सस्ती हो जाएगी. लेकिन रिंगिंग बेल्स के दावों पर टेलीकॉम उद्योग की तीखी प्रतिक्रिया आई. इंडियन सेलुलर संघ ने तो ‘फ्रीडम 251’ को मजाक तक बता डाला.

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