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फरीदाबाद। आमतौर पर सर्दियों के मौसम का लोग बहुत बेसब्री से इंतजार करते है ताकि इस मौसम में बर्फीली हवाओं को महसूस कर सकें और हिल स्टेशनों पर जाकर स्नोफॉल का आकर्षक नाजारा भी देख सकें। वहीं दूसरी तरफ ठंड के दिनों में कई लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियां भी ले आती है। वर्तमान समय में दिन पर दिन ठंड जैसे-जैसे दस्तक देती जा रही है वैसे-वैसे लोगों में सर्दियों की बीमारी घर करती जा रही है। इन बीमारियों में मुख्य रूप से सर्दी-जुकाम,खांसी, कानों एवं आंखों की बीमारी, त्वचा समस्या, जोड़ों में दर्द, चेस्ट पैन और हर्ट अटैक के पेशेंटों में हर्ट से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है।
ठंड के दिनों में हर्ट की अटैक के ज्यादा चांस बढ़ जाते है। इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर फरीदाबाद के अस्पताल क्यूआरजी के कार्डियोलॉजी डायरेक्टर डॉ. राकेश सापरा ने हर्ट अटैक के बारे में बताया कि ये बीमारी कैसे हमारे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती है।
डॉ. सापरा ने कहा कि ठंड के दिनों में हर्ट अटैक के पेशेंटों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हर्ट अटैक बेहद जोखिम भरा भी बन जाता है। डॉ. सापरा ने मेडिकल आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि गर्मी की अपेक्षा सर्दी के दिनों में हर्ट अटैक के मरीज ज्यादा गिरफ्त में आते है। उन्होंने कहा कि वहीं साल के आखिरी और अंतिम माह दिसंबर-जनवरी में हर्ट पेशेंटों की संख्या अधिक हो जाती है। ठंड के दिनों में दिल की बीमारी पर नियंत्रण न होने से शरीर में हाइपरटेंशन तेज हो जाता है। जिसके चलते सांंस लेने में बाधा आने लगती है और कभी-कभी तो हृदय की गति भी रूक जाती है जो जीवन के लिए खतरानाक साबित हो सकती है।
डॉ. सापरा ने हर्ट अटैक से संबंधित कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्यादा ठंड से हर्ट अटैक के पेशेंटों रक्तवाहिनी सिकुड़ जाने से ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है जिसके चलते शरीर में ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है और पेशेंट को घबराहट महसूस होने लगता है जो पेशेंट के जीवन के लिए बेहद गंभीर स्थिति भी बन जाती है।
गिरते पारे के बीच हर्ट अटैक के पेशेंटों के लिए डॉ. सापरा ने महत्वपूर्ण बिन्दु के साथ-साथ जागरूकता और ठंड के मौसम में हर्ट पेशेंट खुद को कैसे तैयार रखें। इस पर उन्होंने कुछ सुझाव दिए है जो इस प्रकार है ।
1. सर्दियों में स्वस्थ एवं कम भोजन का ही प्रयोग करें।
सर्दियों के मौसम में कई तरह के ताजे फल उपलब्ध होते है। पेशेंटों को इन फलों का सेवन जरूर करना चाहिए। पेशेंट को अपनी इच्छानुसार ही भोजन करना चाहिए। पेशेंट को हैवी फूड एवं फैटी फूड से परहेज करना चाहिए ताकि हर्ट पर एक्स्ट्रा लोड न पड़े।
2. शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें।
ठंड के दिनों में ज्यादातर लोग स्वयं को हॉट रखने के लिए शराब और धूम्रपान का प्रयोग ज्यादा करते। लेकिन ज्यादा शराब का सेवन हृदय की गति को असमान्य और खराब बना देता है तो दूसरी तरफ स्मॉकिंग भी सांस लेने की गति को सामान्य से अत्याधिक तेज कर देता है। ऐसे में दोनों ही पदार्थ हर्ट पेशेंट के लिए परेशानियों का सबक बन जाते है। मरीजों को इन दोनों ही पदार्थो के सेवन से दूर रहना चाहिए ताकि पेशेंट का हर्ट सुरक्षित रहे। हर्ट पेशेंट सर्दियों में स्वास्थ्य वर्धक एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल का डार्क चोकोलेट चोको का प्रयोग करे। पेशेंट को इसका इस्तेमाल के समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उसमें में कम से कम 70 प्रतिशत शुद्ध कोको शामिल हो तभी वह पूर्ण रूप से प्रभावी होगा।
3. डिहाइड्रेशन से बचे।
हम सभी जानते है कि गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में तरल पेय पदार्थ का सेवन कम ही कर पाते है। लेकिन सर्दियों में यह बदलाव पेशेंट की बॉडी के लिए ठीक नहीं। अक्सर शरीर में पानी कमी से डिहाइड्रेट की समस्या शुरू हो जाती है। जिससे, सर्दी-जुकाम, त्वचा संबंधित, गठिया, किडनी स्टोन और दिल के लिए भी जोखिम भरा बन जाता है। इसलिए हर्ट पेशेंट को इन सभी परेशानियों से दूर रहने के लिए रोजाना 4 से 5 गिलास पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो और सामान्य तापमान भी बना रहे।
4. सर्दियों में स्वास्थ्य संबंधित लक्षणों की अनदेखी न करें और हमेशा ही चेकअप करवाएं।
ठंड के दिनों में हर्ट पेशेंट को किसी भी तरह के लक्षणों को दरकिनार न करें जैसे सीने का दर्द, जबड़े और हाथों का दर्द, सांस लेने में आ रही कठिनाई या फिर पसीने का आना। हर्ट पेशेंट को स्वास्थ्य संबंधित संदेह होने पर तुरंत डॉक्टर से जरूरी सलाह ले और निश्चित रूप से ईसीजी चेकअप भी करवाएं। रोजाना का चेकअप भी आपात स्थितियों में बहुत सहायक सिद्ध होता है।
5. घर पर रखें हमेशा एक एमरजैंसी किट।
आपात स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा एक अच्छी ट्रीटमेंट होती है। हर्ट अटैक की संदिग्ध स्थिति में ऐस्पीरिन टेबलेट कंट्रोल हर्ट डैमेज का काम करती है। हर्ट पेशेंट इस बात का हमेशा याद रखे कि ऐस्पीरिन को निगलने की बजाय उसे चबाया जाएं ताकि दवा दर्द को तेजी से प्रभावित कर खत्म कर सकें। इसी से मिलती-जुलती सोर्बीट्रेट टेबलेट जो चेस्ट पैन और हर्ट अटैक के केस में जीभ के नीचे रखने से दर्द को कम किया जा सकता है।
संक्षेप में, कुछ सरल और तार्किक सावधानियों के बूते न केवल हम हर्ट अटैक की आपात स्थिति से बच सकते है बल्कि ठंड के मौसम का भी भरपूर लुत्फ उठा सकते है।