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नई दिल्ली : जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग पर विपक्षी सदस्यों के अड़े रहने की वजह से राज्यसभा में आज चौथे दिन भी गतिरोध बना रहा। सरकार ने हालांकि स्पष्ट कहा कि वह चर्चा के लिए तैयार है लेकिन जवाब संबद्ध मंत्री देंगे।
सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा करने और प्रधानमंत्री के जवाब की मांग उठाई। सदन में तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। विपक्षी सदस्यों की मांग पर सदन के नेता अरूण जेटली ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तत्काल तैयार है लेकिन विपक्ष यह कैसे तय कर सकता है कि चर्चा किस तरह से होगी और चर्चा का जवाब कौन देगा।
जेटली ने कहा ‘सरकार को चर्चा कराने में कोई आपत्ति नहीं है। पिछली बार एक मुद्दे पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री के जवाब की मांग की तो प्रधानमंत्री ने जवाब दिया था। इसके बाद विपक्ष के उप नेता (आनंद शर्मा) की बातों से ऐसा संकेत मिला कि अब सदन में निर्बाध कामकाज होगा।’ उन्होंने कहा कि इसी बीच एक अन्य नेता ने, जो कांग्रेस के नहीं हैं, कहा कि स्पष्टीकरण स्वीकार्य नहीं है। इसके बाद सदन को बाधित किया जाता रहा। उन्होंने कहा ‘सरकार चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन चर्चा कैसे हो, उसका जवाब कौन दे, यह सब कुछ विपक्ष तय करना चाहता है। ’ वाम सदस्यों की आपत्ति के बीच जेटली ने कहा ‘अगर आप नियम 267 के तहत चर्चा के लिए तैयार हैं तो चर्चा शुरू की जाए।’
संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन के नियमों के अनुसार, गृह मंत्री चर्चा का जवाब देंगे क्योंकि मुद्दा उनके मंत्रालय से संबद्ध है। लेकिन विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री के जवाब की मांग करते रहे। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा ‘प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए’ सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि उन्होंने चर्चा की अनुमति दे दी है और विपक्षी सदस्य इसके लिए कोई शर्त नहीं रख सकते।
जदयू के शरद यादव ने कहा ‘सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल कई दिनों से बाधित हो रहा है। जिस मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है उस पर प्रधानमंत्री सदन में मौजूद सदस्यों की बात सुनें और जवाब दे दें। ऐसा करने पर गतिरोध दूर हो जाएगा।’ विपक्ष के उप नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा ‘यह मुद्दा गंभीर है। विपक्ष का इरादा प्रधानमंत्री की गरिमा कम करने का नहीं है। आपनेही सदन में आश्वासन दिया था कि असंयमित बयानों को कठोरता से आप खारिज करेंगे। लेकिन आपके ही दल के सदस्य इस तरह के बयान दे रहे हैं। ’ बसपा प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री के जवाब की मांग करते हुए कहा ‘इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण को लेकर देश में गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है।
इस पर नायडू ने कहा ‘देश में शांति है लेकिन कुछ लोग यह मुद्दा उठा कर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उन्हें राज्य को कार्रवाई करनी चाहिए।
इसी बीच शर्मा ने कहा कि माइक बंद कर दिए गए हैं। तब सभापति ने कहा कि 11 सदस्यों से ज्यादा लोग एक साथ बोलते हैं तो माइक ‘लोड’ नहीं ले पाता। यह तकनीकी कारण है और माइक बंद करने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। सभापति ने शर्मा से चर्चा शुरू करने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री से जवाब की मांग करते रहे जिसके बाद सभापति ने बैठक को भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले बैठक शुरू होने पर जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के सदन में आकर जवाब दिये जाने की मांग पर पिछले चार दिन से अड़े विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर ‘अहंकार’ एवं ‘हठधर्मिता’ का आरोप लगाया जबकि सरकार ने दावा किया कि मौजूदा गतिरोध ‘‘सरकार के अहंकार’’ के चलते नहीं बल्कि ‘संख्याबल (राज्यसभा में विपक्ष के अधिक सदस्य हैं) के अहंकार’ के कारण है। प्रश्नकाल शुरू होने पर फिर यही मुद्दा उठा और प्रधानमंत्री के जवाब की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सभापति ने बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी थी।