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फरीदाबाद। लोकसभा क्षेत्र फरीदाबाद से कांग्रेस उ मीदवार घोषित होने के बाद ललित नागर की असली परीक्षा शुरू हुई है। उन्हें पार्टी के बड़े नेताओं से वो सपोर्ट नहीं मिल रहा है जिसकी उन्हें जरूरत है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि सपोर्ट न मिलना लाजिमी भी है। बेशक वाड्रा नाम के ब्रह्मास्त्र से ललित नागर टिकट लाने में कामयाब हो गए हों लेकिन कांग्रेस ने जो बेइज्जती का दाग महेंद्र प्रताप को दिया है, उसे प्रताप कैसे भूल सकेंगे। ज्ञात हो कि महेंद्र प्रताप ने लोकसभा चुनाव की दावेदारी के लिए इसी शर्त पर हामी भरी थी कि उन्हें कन्फर्म टिकट मिलेगा। उन्हें प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने टिकट का भरोसा दिया था। लेकिन अचानक उनके मुकाबले कहीं छोटे नेता को उ मीदवारी मिलने को शायद महेंद्र प्रताप पचा नहीं पा रहे हैं।
दूसरी ओर चार बार सांसद रहे अवतार ङ्क्षसह भड़ाना के घर में भी गम का माहौल है। उनके यहां आने वाले भड़ाना को टिकट न मिलने को किसी गम की घड़ी के रूप में देख रहे हैं। जानकारों के अनुसार भड़ाना ने भाजपा विधायक से इस्तीफा देकर कांग्रेस टिकट की शर्त पर ही ज्वाइन की थी। लेकिन अब वो और उनके समर्थक उनकी दावेदारी के उ मीदवारी में न बदलने को पार्टी हाईकमान का धोखा मान रहे हैं।
कहानी दूसरी भी है। राजनीति के दंगल में जहां जातिगत आधार पर नेताओं का वर्चस्व देखा जाता हो वहां फरीदाबाद से ललित नागर के रूप में एक और गुर्जर नेता खडे होने का शायद ही मौजूदा गुर्जर नेता पचा पाएं। और पचाएं भी क्यों। ललित नागर के समर्थक इस दावेदारी को गुर्जर इमाम कहे जाने वाले अवतार सिंह और बाबा के नाम से मशहूर महेंद्र प्रताप की प्रतिष्ठा से जोड़ कर पेश कर रहे हैं। सेक्टर 17 से लेकर ललित के गांव भुआपुर तक में इस बात के लिए ढोल नगाड़े बज रहे हैं कि गुर्जरों को एक बड़ा नेता मिल गया है।