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new delhi| स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एसोसिएटेड बैंकों का विलय हो चुका है. एसबीआई के अलावा, अन्य 5 बैंकों में जिनका भी खाता है वो स्टेट बैंक के पास चला जाएगा. लेकिन, इन एसोसिएटेड बैंकों से मिलने वाली एक सुविधा खत्म हो जाएगी. दरअसल, 31 दिसंबर 2017 के बाद स्टेट बैंक के एसोसिएटेड बैंकों सहित 6 बैंकों की चेक बुक अमान्य हो जाएंगी. मतलब ये कि 1 जनवरी 2018 से इन बैंकों का कोई भी खाताधारक अपने अकाउंट से पैसा चेक से नहीं निकाल सकेगा. पहले सितंबर अंत में ये व्यवस्था लागू होनी थी, लेकिन आरबीआई ने इसकी डेडलाइन बढ़ा दी थी. एसोसिएटेड बैंकों के SBI में विलय होने से ये नया नियम लागू होगा. SBI के मुताबिक, इन सभी बैंकों के ग्राहकों को 1 जनवरी 2018 से मोबाइल बैंकिंग या ब्रांच में आकर नई चेकबुक के लिए अप्लाई करना होगा. इसके बाद ही चेक बुक के जरिए वो अपने खाते से ट्रांजैक्शन कर सकेंगे.
कौन-कौन से बैंक हैं शामिल
स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर
स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
भारतीय महिला बैंक
विलय होने से क्या बदल गया
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में 6 बैंकों का विलय हो गया है. इनके विलय के साथ ही 1 अप्रैल 2017 से इन बैंकों के ग्राहक एसबीआई के ग्राहक हो गए हैं. हालांकि, विलय के बाद से ही एसबीआई ने अपनी सेवाएं महंगी कर दी. बैंक ने सर्विस चार्ज में बदलाव किया, जिसका सीधा असर बैंक ग्राहक पर हुआ.
कौन सी सेवाएं की गई महंगी
3 बार के लेनदेन बाद शुल्क: 1 अप्रैल से एस.बी.आई. अपने ग्राहकों को सिर्फ एक महीने में 3 बार ही बैंक खातों में पैसे जमा कराने की मुफ्त सेवा मुहैया कराएगा. 3 बार के बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपए का शुल्क और सेवाकर देना होगा. वहीं चालू खातों के मामले में यह शुल्क अधिकतम 20,000 रुपए भी हो सकता है.
मिनिमम बैलेंस के नियम बदले
बैंक ने एटीएम सहित अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किए हैं. बैंक ने मासिक औसत बकाया (मिनिमम बैलेंस) के नियमों में भी बदलाव किए हैं. मेट्रो सिटी के खातों के लिए न्यूनतम 5000 रुपए, शहरी क्षेत्रों में 3000 रुपए, सेमी अर्बन में 2000 तथा ग्रामीण या रूरल इलाकों में 1000 रुपए न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होगा. न्यूनतम राशि ना रखने वाले ग्राहकों से बैंक चार्ज वसूलेगा.
एटीएम निकासी पर शुल्क
एक महीने में अन्य बैंक के एटीएम से 3 बार से ज्यादा निकासी पर 20 रुपए और एसबीआई के एटीएम से 5 से ज्यादा निकासी पर 10 रुपए का शुल्क लिया जाएगा.
क्यों हुआ विलय
SBI के सहयोगी बैंकों की ओर से जारी किए जाने वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड पहले से ही SBI के नेटवर्क के तहत ही काम करते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सहयोगी बैंकों के विलय से SBI और मजबूत होगा और उसकी वित्तीय स्थिति भी बेहतर होगी. कुछ दिनों पहले SBI की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा था कि विलय के साथ ही बैंक को 5,000 करोड़ रुपए की निश्चित पूंजी हासिल होगी. रिपोर्ट्स की मानें तो विलय से SBI के पास 21 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के डिपॉजिट्स होंगे. इसके अलावा लोन बुक भी 17.5 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच जाएगी. स्टेट बैंक के 5 एसोसिएट बैंकों का कुल डिपॉजिट 5 लाख 9 हजार करोड़ रुपए है. पांचों बैंक का कुल एडवांस 3 लाख 97 हजार करोड़ रुपए है. पांचों बैंकों का कुल नेटवर्थ 90 लाख 6 हजार करोड़ रुपए है.
क्या है मकसद
एसबीआई के अधिकारियों का मानना है कि इस विलय का मकसद एक बेहद मजबूत बैंक तैयार करना है और अलग-अलग बैंकों की बजाए एक बड़े मजबूत बैंक में सभी को लाने से ग्राहकों को भी आसानी होगी. केंद्र सरकार भी चाहती थी कि एसबीआई मर्जर की प्रक्रिया को पूरी कर ले क्योंकि एसबीआई और इसके सभी सहयोगी बैंक एक ही तकनीक और प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं. इससे पहले एसबीआई में 2008 में स्टेट बेंक ऑफ सौराष्ट्र और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का पहले ही मर्जर किया जा चुका है.