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जम्मू-कश्मीर सीमा पर हो रही गोलीबारी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। सीजफायर उल्लंघन की ओट में घुसपैठ की वारदात भी सामने आई है, वहीं अमेरिका ने उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें पाकिस्तान पर मेहरबानी दिखाने और आतंकवाद से निपटने का सर्टिफिकेट दिए जाने की बात कही गई है. अमेरिका का कहना है कि उसने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि 2013 के बाद पाकिस्तान को कोई फंड जारी नहीं किया गया है।
भारत-पाक में बढ़ते तनाव को पाटने के लिए बातचीत को अहम बताते हुए अमेरिका ने कहा है कि वह दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच बातचीत को प्रोत्साहन देता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने सोमवार को कहा, ‘निश्चित रूप से हम दोनों देशों के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं. बीते बरस कुछ कदम उठाए गए हैं और जैसा कि आप जानते हैं, यहां कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं. निश्चित तौर पर, अभी और काम किया जाना बाकी है।’
उन्होंने कहा ‘जिन परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है, उनके साथ हमारी संवेदनाएं हैं. सीमा पर तनाव को लेकर निश्चित रूप से हमारी चिंता बनी हुई है और हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं. हम दोनों देशों के बीच बातचीत को प्रोत्साहन देते हैं।’
गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान सरकार को अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का सर्टिफिकेट दिया है. जॉन केरी के इस सर्टिफिकेट से पाकिस्तान ‘केरी-लुगार बिल’ के तहत अमेरिका से सहायता पैकज पाने का हकदार हो गया है. इस बिल में आतंक के खिलाफ कार्रवाई को महत्वपूर्ण शर्त माना गया है, जिसकी पूर्ति के बाद ही अमेरिका से आर्थिक सहायता को हरी झंडी मिलती है।