आधुनिक बसअड्डे की योजना खटाई में, पीने के पानी को तरसते हैं यात्री 

आधुनिक बसअड्डे की योजना खटाई में, पीने के पानी को तरसते हैं...
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-चार साल बीतने पर भी नहीं बना आधुनिक बसअड्डा
-बसअड्डे पर नहीं है मुलभुत सुविधाएं
Yashvi Goyal
फरीदाबाद। प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में दिल्ली के आईएसबीटी की तर्ज पर एनआईटी में आधुनिक बस अड्डे की योजना खटाई में चली गई है। आधुनिक बस अड्डा तो दूर की बात है, बस अड्डे पर पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है।
दरअसल, पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनर्शिप) के तहत इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने की योजना है लेकिन किसी भी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है। जिसके चलते शहर की तस्वीर बदलने वाला यह प्रोजेक्ट कहानी बन गई है।
हरियाणा रोडवेज की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि जल्द ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा लेकिन साढ़े चार साल बाद भी इस प्रोजेक्ट का खाका तैयार नहीं हो सका है। एनआईटी में तीन दशक पुराने बस अड्डे की लंबी-चौड़ी जमीन पर आधुनिक बस अड्डा बनाने की योजना में पेंच फंसने की वजह फंडिंग की समस्या बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट को निजी-सार्वजनिक भागीदारी के तहत पूरा करने की योजना थी।
रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार अब तक किसी भी कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाई है। पीपीपी मॉडल के तहत सात मंजिला इमारत बनाई जानी है, जिसके भू-तल पर बस स्टैंड, ऊपरी तलों पर वाणिज्यिक गतिविधियां जैसे रेस्टोरेंट, सिनेमा, शोरूम, बैंक्वेट हॉलऋ, वेटिंग रूम, फूड प्लाजा और ऑफिस होंगे।
बेसमेंट में पार्किंग बनाने की भी योजना है। इस प्रोजेक्ट में भारी-भरकम निवेश की जरूरत होगी। ऐसे में निजी भागीदारी से प्रोजेक्ट को तैयार करने की योजना बनाई गई लेकिन इसमें निवेश के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आई है।

#बस अड्डा पर नहीं है  मुलभूत सुविधा
एनआईटी बसअड्डा पर मुलभूत सुविधा तक प्र्याप्त रूप में नहीं है। बसअड्डा पर आने वाले यात्रियों को पीने का पानी खरीद कर पीना पड़ता है। यहां तक कि खुले में शौच मुक्त का नारा देनीे वाली सरकार के राज में अड्डे पर ठीक प्रकार से शौचालय तक नहीं है। शौचालय में पानी नहीं आता। जिसके चलते यात्रियों को सुलभ शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है।

#मेट्रो चली तो बंद हुई डीटीसी
दो साल पहले तक इस बस अड्डे से दिल्ली के लिए डीटीसी बसों का संचालन होता था, लेकिन फरीदाबाद में मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद डीटीसी ने अपनी सेवाएं बंद कर दीं। इसका खामियाजा यात्रियों को उठाना पड़ रहा है, क्योंकि मेट्रो दिल्ली के जिन रूट पर नहीं जाती वहां डीटीसी की बसें चला करती थीं। अब इस बस अड्डे से रोडवेज की लंबी दूरी की कुछएक बसें ही चला करती हैं।

#सुविधा मिले तो लाखों को फायदा
एनआईटी का बस अड्डा सबसे पुराना बताया जाता है। इसका निर्माण 1987 में हुआ था। एनआईटी की लाखों की आबादी इस बस अड्डे पर ही निर्भर रहती थी। बस अड्डे पर न बसों की सुविधाएं हैं और न ही यहां खाली जगह का सही इस्तेमाल हो रहा है। अगर योजना के तहत यहां आधुनिक बस अड्डा बने तो सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूती मिलने के साथ शहर के बीचोबीच शॉपिंग से लेकर मनोरंजन की सुविधा भी एक ही जगह मिल सकेगी।

#क्या कहते हैं यात्री
-72 वर्षिय अमरीक सिंह का कहना है कि वह पानीपत से यहां आए है। बसअड्डा पर आने के बाद चारो ओर पानी खोजा तो कही नहीं मिला। यहां पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी न मिलने पर मैंने यहां के किसी यात्रि से मांगकर प्यास बुझाई।

-एनआईटी एक निवासी वेद का कहना है कि यहां से डीटीसी की बसे चलने बंद हो गई है। जिस कारण से उन्हें मजबूरन मेट्रो ट्रेन या ओला कैब से जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि बसअड्डा पर मुलभूत सुविधाएं भी नहीं है। सरकार की ओर से यहां शौचालस की भी व्सवस्था नहीं की गई है। जिस कारण से सुलभ शौचालय में रुपये खर्च करके जाना पड़ता है।

-दिल्ली निवासी राहुल चौहान का कहना है कि एक ओर तो यह फरीदाबाद स्मार्ट सिटी के रूप में बनाया जा रहा है लेकिन एनआईटी के बसअड्डे पर पीने तक का पानी नहीं है। मुझे 20 रुपये की बोतल खरीद कर पानी पीना पड़ा।

एनआईटी बस अड्डे को आधुनिक तरीके से बनाने की योजना है। पीपीपी मॉडल के तहत इस काम को किया जाना है लेकिन अब तक किसी भी कंपनी ने इसमें निवेश के लिए रुचि नहीं दिखाई है।
-राजीव नागपाल, जीएम रोडवेज

शहर का पुराना बस अड्डा है लेकिन सुविधाएं नहीं है। पिछले पांच साल से पानी तक यहां मुहैया नहीं कराया जा सका। शौचालय भी पैसे देकर जाना पड़ता है। बरसात में तो यहां तालाब बन जाता है।
-शिव चरण, बस अड्डा इंचार्ज

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