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Faridabad| ग्राम भूपानी स्थित, एकता के प्रतीक, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा को देखने आज आदर्श विद्या निकेतन के प्रधानाचार्य व स्टाफ मैमबर, भूपानि, महावतपुर व खेड़ी कला के ग्रामीण सज्जन व बच्चे तथा दिल्ली से कुछ परिवार आए|
उन्हें बताया गया कि अपने ख्याल का लगाव व झुकाव नश्वर मायावी दृश्यों की ओर से हटाकर, मायापति परमात्मा के साथ जोड़ लो 1योंकि यही जीवन है। इसी द्वारा ही निर्बाध जीवन लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है और हम अपनी अजर-अमर हस्ती की पहचान कर, अमरता को प्राप्त कर सकते हैं। जबकि इसके विपरीत ख्याल को दृश्यों की ओर जोडऩा मृत्यु को प्राप्त होना है जहाँ केवल दु:ख ही दु:ख है, रोना ही रोना है, झुखना ही झुखना है।
मायावी दृश्यों को स्पष्ट करते हुए आगे कहा गया कि दृष्टिगत होने वाले अनेकानेक दृश्य पल-पल बदल रहे हैं। इन नश्वर दृश्यों के संपर्क में आकर व प्रभावित होकर हमारे भाव का, ख्याल का सोचने-समझने का नजरिया भी नश्वरता की ओर हो जाता है और हम वैसा ही व्यवहार या आचरण दिखाते हैं।
अन्य शब्दों में जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण नकारात्मक हो जाता है और यह नकारात्मकता अज्ञान का रूप ले हमारे अंत:करण को अंधकार से आच्छादित कर देती है। इसके विपरीत जो नित्य है, शाश्वत है, आद है, मध्य है, अंत है और सत्य है, उसके संग अपने ख्याल को जोडऩे पर हम आत्मिक ज्ञान प्राप्त कर, निर्विकारी बन पाते हैं और जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण सकारात्मकता हो जाता है। ऐसा होने पर ही हमारा संकल्प स्वच्छ, दृष्टि कंचन, जिह्वा स्वतन्त्र और बुद्धि निर्मल बनी रह सकती है और हमारा चित्त हर पल शांत व आनन्दित रह सकता है।
इसलिए उपस्थित सभी सजनों को हिदायत दी गई कि निज सुख और शांति हेतु अपने 2याल को उत्तमता व श्रेष्ठता प्रदान करने वाले परमसत्य की ओर जोडऩे का दृढ़ संकल्प लो और सदाचार की राह परे आगे से आगे प्रशस्त होते जाओ। अंत में सब अपने इस संकल्प पर खरे उतर सके इस हेतु उनको उत्साह से पूरित कर, आत्मविश्वास के साथ निमन श4द दोहराते हुए, गाने के लिए कहा गया:-
Faridabad| ग्राम भूपानी स्थित, एकता के प्रतीक, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा को देखने आज आदर्श विद्या निकेतन के प्रधानाचार्य व स्टाफ मैमबर, भूपानि, महावतपुर व खेड़ी कला के ग्रामीण सज्जन व बच्चे तथा दिल्ली से कुछ परिवार आए|
उन्हें बताया गया कि अपने ख्याल का लगाव व झुकाव नश्वर मायावी दृश्यों की ओर से हटाकर, मायापति परमात्मा के साथ जोड़ लो 1योंकि यही जीवन है। इसी द्वारा ही निर्बाध जीवन लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है और हम अपनी अजर-अमर हस्ती की पहचान कर, अमरता को प्राप्त कर सकते हैं। जबकि इसके विपरीत ख्याल को दृश्यों की ओर जोडऩा मृत्यु को प्राप्त होना है जहाँ केवल दु:ख ही दु:ख है, रोना ही रोना है, झुखना ही झुखना है।
मायावी दृश्यों को स्पष्ट करते हुए आगे कहा गया कि दृष्टिगत होने वाले अनेकानेक दृश्य पल-पल बदल रहे हैं। इन नश्वर दृश्यों के संपर्क में आकर व प्रभावित होकर हमारे भाव का, ख्याल का सोचने-समझने का नजरिया भी नश्वरता की ओर हो जाता है और हम वैसा ही व्यवहार या आचरण दिखाते हैं।
अन्य शब्दों में जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण नकारात्मक हो जाता है और यह नकारात्मकता अज्ञान का रूप ले हमारे अंत:करण को अंधकार से आच्छादित कर देती है। इसके विपरीत जो नित्य है, शाश्वत है, आद है, मध्य है, अंत है और सत्य है, उसके संग अपने ख्याल को जोडऩे पर हम आत्मिक ज्ञान प्राप्त कर, निर्विकारी बन पाते हैं और जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण सकारात्मकता हो जाता है। ऐसा होने पर ही हमारा संकल्प स्वच्छ, दृष्टि कंचन, जिह्वा स्वतन्त्र और बुद्धि निर्मल बनी रह सकती है और हमारा चित्त हर पल शांत व आनन्दित रह सकता है।
इसलिए उपस्थित सभी सजनों को हिदायत दी गई कि निज सुख और शांति हेतु अपने 2याल को उत्तमता व श्रेष्ठता प्रदान करने वाले परमसत्य की ओर जोडऩे का दृढ़ संकल्प लो और सदाचार की राह परे आगे से आगे प्रशस्त होते जाओ। अंत में सब अपने इस संकल्प पर खरे उतर सके इस हेतु उनको उत्साह से पूरित कर, आत्मविश्वास के साथ निमन श4द दोहराते हुए, गाने के लिए कहा गया:-
ठान लिया तो रुकना 1या, हम आगे बढ़ेंगे हम आगे बढ़ेंगे
और आगे बढ़ कर, श्रेष्ठ मानव बन जाएंगे
भौतिक ज्ञान के संग संग, आत्मिक ज्ञान भी प्राप्त करेंगे
जो शब्द विचार निहित हैं उसमें, उनको धारण कर नेक बनेंगे
ए विध् जो अंधकार है मन में, वह स्वत: ही मिट जाएगा
सद्ज्ञान की वर्षा होने पर, मन का मैल धुल जाएगा
फिर न कोई विषय रहेगा, जिसे इन्द्रियाँ ग्रहण करेंगी
तो ही तो भोग विलास की पीड़ा, हमें नहीं सहनी पड़ेगी
तभी तो दोष मुक्त हम रहकर, विकार रहित रह पाएंगे
निर्विकारी नाम कहा कर, जीवन सफल बनाएंगे
जीवन सफल बनाएंगे,जीवन सफल बनाएंगे