-शिक्षाविद डॉ सतीश फौगाट ने याचिका दायर कर कहा, कोरोना संक्रमण काल में भी बोर्ड बच्चों के स्वास्थ्य को संकट में डालने की कर रहा कोशिश
-अदालत में कहा, चार विषयों के आधार पर ही पांचवें विषय के अंक देकर फाइनल परीक्षा परिणाम दे शिक्षा बोर्ड
Todaybhaskar.com
फरीदाबाद। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की हठधर्मिता के खिलाफ शिक्षाविद डॉ सतीश फौगाट झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने बोर्ड द्वारा बार बार दसवीं परीक्षा परिणामों की तारीखों में बदलाव करने को अब चंडीगढ़ हाईकोई में चुनौती दे दी है। याचिकाकर्ता डॉ सतीश फौगाट के वकील सुनील कुमार नेहरा ने माननीय न्यायाधीश रामेंद्र जैन की अदालत में याचिका नंबर सीडब्ल्यूपी 8632/2020 पर अपना पक्ष रखा। जहां राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा, निदेशक माध्यमिक शिक्षा और हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सचिव को पार्टी बनाया गया था। मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई तय की गई है।
याचिकाकर्ता डॉ सतीश फौगाट ने बताया कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड अपनी हठधर्मिता के कारण लाखों बच्चों का भविष्य और उनके स्वास्थ्य को दांव पर लगाने पर आतुर है। बोर्ड में लगता है कि खुले मन से फैसले लेने की पंरपरा समाप्त हो चुकी है। यही कारण है कि कोरोना काल में भी बच्चों से परीक्षा लेने की जिद की जा रही है।
अधिकांश प्रवासियों के बच्चे अपने गृहजिलों की ओर कर चुके हैं रुख
हमने माननीय अदालत को बताया है कि हमारे स्कूल में अधिकांश प्रवासी लोगों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। जो कोरोना संक्रमण काल में अधिकांश अपने अपने गृह प्रदेशों की ओर रुख कर गए हैं। जिस कारण वह किसी भी प्रकार की परीक्षा में फिलहाल शामिल नहीं हो सकेंगे। इसलिए परीक्षाओं को कोरोना महामारी के नियंत्रित होने तक रोका जाए अथवा बच्चों के अब तक लिए जा चुके चार विषयों के प्राप्त अंकों के आधार पर पांचवें विज्ञान विषय के अंक देकर परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाए।
तकसंगत मांग पर भी बोर्ड दिखा रहा हठधर्मिता
याचिकाकर्ता डॉ. सतीश कुमार फौगाट ने बताया कि हमने कोई अलग से मांग नहीं की बल्कि तर्कसंगत मांग की है। लेकिन भिवानी बोर्ड बार बार परीक्षा परिणाम घोषित करने की तारीखें बदलने, पैटर्न बदलने आदि में ही लगा है। जबकि इन्हीें परिस्थितियों में हरियाणा की विभिन्न युनिवर्सिटियों में बच्चों को प्रमोट किया जा चुका है। जबकि उन्हें डिग्री के आधार पर कल प्रोफेशनल लाइफ में शामिल होना है। जबकि दसवीं कक्षा का बच्चा इंजीनियर या डाक्टर नहीं बन रहा है, बावजूद इसके उन्हें परीक्षा के नाम पर परेशान करने की कोशिश की जा रही है। यह और कुछ नहीं बल्कि बोर्ड की हठधर्मिता है।
सीबीएसई की परीक्षाओं पर भी रोक लगा चुका है सुप्रीम कोर्ट
डॉ फौगाट ने बताया कि इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट सीबीएसई द्वारा परीक्षाएं घोषित करने की कोशिश पर रोक लगा चुका है। जिससे लाखों बच्चों को अब बिना परीक्षा दिए इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जा सकेगा। इससे पूर्व तेलंगाना शिक्षा विभाग करीब 5.50 लाख विद्यार्थियों का एसेसमेंट के आधार पर फाइनल परीक्षा परिणाम दे चुका है वहीं तमिलनाडू करीब नौ लाख परीक्षार्थियों का परिणाम देने की तैयारी कर रहा है। केवल हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने ही इसे साख का विषय बना रखा है।