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चतरा\desk| झारखंड के चतरा जिले के झटखोरी में दो झोलाछाप डॉक्टरों ने एक नवजात का लिंग काट दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। आरोपियों ने अपना झूठ छिपाने के लिए घटना को अंजाम दिया। बलिया गांव की गुड्डी देवी को 8 महीने का गर्भ था। 24 अप्रैल को दर्द उठने पर परिजन उसे ओम क्लीनिक ले गए। यहां क्लीनिक संचालक अरुण और अनुज ने उसका अल्ट्रासाउंड कर गर्भ में बच्ची होने की बात कही। बेटा पैदा हुआ तो आरोपियों को अपनी हकीकत सामने आने का डर सताने लगा और उन्होंने बच्चे का लिंग काट दिया। ज्यादा खून बहने से बच्चे की मौत हो गई।
परिजन को लालच देकर मामला निपटाने की कोशिश
– बच्चे का शव झाड़ियों में फेंक दिया और परिजन से कहा कि दिव्यांग लड़की पैदा हुई, जिसकी मौत हो गई।
– पीड़ित परिवार के सदस्यों ने मौके पर जाकर देखा तो हकीकत का पता चला और हंगामा शुरू कर दिया। ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों ने एक लाख रुपए देकर मामला निपटाने की कोशिश की लेकिन परिजन नहीं माने।
हत्या का मामला दर्ज, आरोपी फरार
– पीड़ित परिवार ने मंगलवार रात पुलिस को मामले की सूचना दी जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस बुधवार सुबह क्लीनिक पहुंची लेकिन आरोपी फरार हो चुके थे। पुलिस ने नर्सिंग होम को सील कर दिया है। – अनुज कुमार और अरुण कुमार के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने सिविल सर्जन को जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा है। दोनों आरोपी बिहार के बाराचट्टी के रहने वाले हैं।
अवैध रूप से चल रहा था क्लीनिक
– झटखोरी अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. डीएन ठाकुर ने 13 अप्रैल को अवैध रूप से चल रहे कई क्लीनिक पर छापे की कार्रवाई की थी। इस दौरान वो ओम क्लीनिक भी पहुंचे। ऑपरेशन रूम समेत अन्य सुविधाओं और उपकरणों की जांच की गई।
– इस दौरान क्लीनिक संचालक अनुज कुमार भी मौजूद था जिससे तीन दिन में जरूरी कागजात मांगे गए। आरोपी ने कागजात जमा नहीं करवाए फिर भी क्लीनिक चल रहा था।
स्वास्थ्य विभाग ने क्यों नहीं की कार्रवाई ?
इस मामले में बड़ा सवाल ये है कि संबंधित कागजात जमा नहीं करवाने पर क्लीनिक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इस बारे में सिविल सर्जन डॉ. सीपी सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी नहीं है। डॉ. डीएन ठाकुर को नोटिस जारी कर जवाबा मांगा जाएगा।