द ग्रेट इंडिया विलेज मेले में छात्रों की भीड़ रही न के बराबर

द ग्रेट इंडिया विलेज मेले में छात्रों की भीड़ रही न के...
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द ग्रेट इंडिया विलेज मेले में दीया बनाना सीखती हुई मेयर सुमनबाला।

डीएवी शताब्दी कॉलेज में द ग्रेट इंडिया विलेज मेले का आयोजन
Yashvi Goyal
Faridabad। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर डीएवी शताब्दी कॉलेज में द ग्रेट इंडिया विलेज मेले का आयोजन किया गया। मेले में हरियाणा के परिवेश से जुड़ी संस्कृति को दर्शाया गया। मेले का उद्धाटन मेयर सुमनबाला, पार्षद मनोज नसवा, कॉलेज प्राचार्य डॉ. सतीश अहूजा, कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुनीता आहूजा, प्रोफेसर मुकेश बंसल ने दीप प्रज्वलित कर किया। मेयर सुमन बाला ने इस दौरान ऊंट की सवारी का भी आनंद लिया।
#मेले में प्रवेश के लिए कॉलेज की ओर से प्रति छात्र 200 रुपये टिकट रखी गई थी। जिसके कारण मेले में छात्रों की भीड़ न के बराबर थी। कॉलेज में मेले के दौरान छात्र आए तो लेकिन उन्होंने अपने को किनारे रखना ही उचित समझा| प्रवेश द्वार पर खड़े छात्रों ने कहा कॉलेज के द्वारा मेले का आयोजन तो ठीक है लेकिन टिकट बहुत महंगी है| इतनी महंगी टिकट तो सूरजकुंड मेले में नहीं होती| जहां देखने के लिए हजारों चीजे उपलब्ध होती है| इसलिए कुछ छात्रों ने प्रवेश द्वार के साइड में बनी सीढिय़ों पर बैठकर मेले का लुत्फ उठाया।
#मेले में डार्ट गेम, निशानेबाजी, गुलेल, हेयर स्टाइल, ज्योतिष, मेहंदी, रिंग गेम, खजाने की खोज, गलास सोट, तीरंदाजी, मिट्टी की कला, गिल्ली डड़ा, कैरम, शतरंज, लूडो सीढ़ी, रेस, अरेना, लेमन रेस, रस्सी टप्पा जैसे विभिन्न प्रकार की स्टॉल लगाई गई थी। मेले में ऊंट एवं घोड़े की सवारी का छात्रों व अध्यापकों ने जमकर मजा लिया। प्राचार्य डॉ. सतीश अहूजा ने कहा कि वर्तमान वैश्वीकरण के युग में जहां एक ओर हमारा देश निरंतर तकनीकि क्षेत्र में उन्नति कर रहा है। वहीं मानवीय संसाधनों पर निर्भरता निरंतर कम होती जा रही है। जिसके कारण कला पर निर्भर लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं। बेरोजगारी की समस्या का हल ढूंढने के लिए कॉलेज के पर्यटन विभाग ने ग्रामीण पर्यटन की थीम पर द ग्रेट इंडिया विलेज मेले का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में पहल करने का एक सार्थक प्रयास है।
#मेले में ओल्ड फरीदाबाद निवासी लक्ष्मण छात्रों को मिट्टी की कला सिखाने आए हुए थे। लक्ष्मण ने बताया कि आधुनिक समय में मिट्टी की चीजों की मांग घटती जा रही है। इस प्रकार के मेले में आने से युवाओं को इस कला के बारे में जानकारी मिलती है और उनकी इस ओर रूची भी बढ़ती है। छात्रों ने कुम्हार लक्ष्मण से दीया, मटकी व अन्य चीजें बनाना सीखीं।

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