Yashvi Goyal
Desk| रसोई का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। रसोई में पका हुआ खाना परिवार के सभी सदस्यों द्वारा ग्रहण किया जाता है। भारतीय गृहिणी का ज्यादातर समय रसोई घर में ही बीतता है। सुबह के नाश्ते से लेकर रात्रि भोजन तक गृहिणी को रसोई घर में ही रहना पड़ता है, अत: वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान में रसोई का निश्चित स्थान निर्धारित किया गया है।
रसोई का सबसे ज्यादा महत्वपूर्र्ण स्थान मकान की दक्षिण पूर्व दिशा है, जो आग्नेय कोण भी है और शुक्र का भी स्थान है। शादीशुदा औरत शुक्र होती है। अत: शुक्र का अधिकांश समय रसोई घर में अपने ही स्थान पर बीतना बहुत अच्छा होता है। इस स्थान पर खाना बनाने से भोजन स्वादिष्ट और स्वास्थ्य वर्धक भी होता है, इस क्षेत्र में भोजन पकाने से परिवार के सदस्यों को मजबूती और विश्वास प्रदान होता है।
दक्षिण-पूर्व क्षेत्र शुक्र का क्षेत्र होने से पैसों का भी क्षेत्र होता है, रसोई घर में आग जलाकर खाना पकाया जाता है अत: आग का कारक मंगल ग्रह है और इस क्षेत्र में अग्नि जलाने से राहु ग्रह जो कि पापी ग्रह है, वह भी नियंत्रण में रहता है। जिसकी वजह से बहुत बड़े-बड़े और अचानक होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है। इस दिशा से संबंधित घर में रहने वाले व्यक्तियों के यश और मान में भी वृद्धि होती है। इस दिशा में बना रसोईघर परिवार के सभी सदस्यों को क्रियाशील बनाता है। सभी सदस्यों को कुछ न कुछ करने की प्रेरणा देता है, साथ ही आलस को दूर करता है।
दक्षिण पूर्व दिशा में बने रसोई घर में चुल्हा पूर्व दिशा की दीवार के साथ ही होना चाहिए और पूर्व-दक्षिण दिशा में खिड़की भी जरूर होनी चाहिए, ताकि उगते हुए सूर्य की किरणें सीधे तौर पर रसोई घर में आएं। ऐसा माना जाता है कि रसोई घर में सूर्य की किरणें आने से खाना स्वादिष्ट बनता है।
अत: घर बनाते समय रसोई के स्थान का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि चूल्हा और पानी एक ही सीध में नहीं होना चाहिए। पानी का स्थान उत्तर दिशा की दीवार के साथ बनाना चाहिए।