-सांस फूलने की समस्या से पीडि़त था युवक
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फरीदाबाद। पिछले एक वर्ष से सांस फूलने की समस्या से जूझ रहे एक 30 वर्षीय युवक की मैट्रो अस्पताल ने जटिल हार्ट सर्जरी करके उसे नया जीवन दिया है। उक्त युवक की थोड़ा सा काम करने पर सांस फूंलने लगती थी, पिछले एक महीने में यह इतना गंभीर एवं लक्ष्णात्मक हो गया था कि मरीज को अपने सारे काम रोककर आराम करना पड़ता था। मरीज ने लखनऊ के हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाया, जिन्होंने मरीज को बताया कि यह बाइकस्पिड महाधमी वाल्व का केस है, जिसमें अत्याधिक कैल्शियम (कैल्शियम महाधमकी स्टोनोसिस) जमा होने के कारण हृदय के बायां हिस्सा केवल 25 प्रतिशत रह गया है, जो आमतौर पर 60 से 65 प्रतिशत होता है। इसे इजेक्शन फ्रक्शन कहते हैं।
उनके रोग की जटिल प्रकृति के कारण उन्हें सर्जरी के लिए सभी जगह मना कर दिया गया और डाक्टरों द्वारा केवल दवाईयों के सहारे रहने की सलाह दी गई थी। यह सुनकर 30 साल का युवा निराश हो गया और फिर वह मैट्रो अस्पताल, फरीदाबाद पहुंचा, जहां उसने अपनी सभी रिपोट्स के साथ कार्डियोवास्कुलर और थोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. एस.एस. सिद्धू से परामर्श लिया।
ईको टेस्ट ने निष्कर्षाे की पुष्टि की। छाती का सिटी स्कैन किया गया, जिसमें दाहिनी ब्राचीएकोफैलिस धमकी में असामान्य फैलाव देखा गया, जिसे एन्यूरिज्म कहते है। एन्यूरिज्म महाधमनी का असामान्य फैलाव है, जो सामान्य आकार से डेढ़ गुणा अधिक हो सकता है, जो कि अत्यधिक रक्तस्राव के जोखिम के साथ होता है, यह आंतरिक रक्तस्राव के कारण होता है, अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की आकस्मिक मृत्यु भी हो सकती है।
डा. सिद्धू ने सभी जांचों की समीक्षा की और सर्जरी (बेंटाल ऑपरेशन) करने का फैसला किया, जो इस मामले में बहुत जोखिम भरा था। बेंटल सर्जरी एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें कई सर्जिकल चरण होते है, यहां पर चुनौती ब्राचीएकोफैलिस एन्यूरिज्म की भी थी। मरीज को सर्जरी के लिए लाया गया और उसकी निम्र चरणों के साथ जटिल बेंटर सर्जरी की गई। सबसे पहले एन्यूरिज्म आरोही महाधमकी और कैल्सीफाइड महाधमनी वाल्व से कैल्शियम को हटाने के लिए महाधमनी की सर्जरी की गई। वाल्व के एन्यूलस को कैल्शियम रहित किया गया। इसके बाद फैला हुआ एन्यूरिज्मल सेगमेंट जो एक कमजोर क्षेत्र था, को कैलसीफाइड संकीर्ण महाधमनी वाल्व के साथ हटाया गया। कंपोजिट मैकेनिकल बिलीफलेट महाधमनी वाल्व को रोगग्रस्त वाल्व के स्थान पर आरोपी महाधमनी नाली के साथ बदल दिया गया तथा कोरोनरी धमनियों को डैक्रॉन ग्राफ्ट के जरिए पुन: आरोपण किया गया वहीं रोगग्रस्त सेगमेंट को ठीक करके एवं डैक्रॉन ग्राफ्ट लगाकर सामान्य शरीर रचना को बहाल किया गया। सर्जरी के दौरान रक्त रिसाव भी न के बराबर था। कुछ घण्टों के बाद मरीज को वेंटिलेटर से हटा दिया गया था। मरीज के बीपी को बनाए रखने के लिए इनोट्रोपिक की आवश्यकता भी नहीं पड़ी और मरीज की रिकवरी अत्याधिक संतोषपूर्ण रही। डा. सिद्धू के अनुसार इस प्रकार की सर्जरी फरीदाबाद में पहली बार हुई, जहां डैक्रॉन ग्राफ्ट के जरिए एन्यूरिज्म अरोटा एवं ब्राचीएकोफैलिस आर्ची को साथ-साथ पुन: आरोपण किया गया।
इस प्रकार से ये दो स्थानों पर रोगग्रस्त धमनी को हटाकर ग्राफ्ट द्वारा पुन: प्रत्यारोपण कर अत्यधिक जटिल व दुर्लभ केस था। अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. बंसल ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने पर डा. सिद्धू की सराहना करते हुए कहा कि यह मेट्रो अस्पताल की एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हमारी डाक्टरों की टीम इतनी सक्षम है कि वह जटिल से जटिल सर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम देकर लोगों को नई जिंदगियां दे रही है। उल्लेखनीय है कि स्वय. डा. सिद्धू एक अत्यंत कुशल व वर्षाे के अनुभव के साथ इस प्रकार की कई जटिल हृदय शल्यक्रियाएं कर चुके है। इस सफल आप्रेशन तथा मरीज की सफल रिकवरी को लेकर वह संतुष्ट है।