-श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी में आठवें दिन दिखाया गया रावण दरबार का मनमोहक दृश्य
Todaybhaskar.com
Faridabad। भगवान श्रीराम और लक्ष्मण, सीता की खोज में ऋषिमुख पर्वत पर जाते हैं। जहां उनकी मुलाकात हनुमान जी से होती है और हनुमान जी उन्हें सुग्रीव के पास ले जाते हैं। सुग्रीव, श्रीराम एवं लक्ष्मण को हरण के समय सीता जी द्वारा फेंके गए आभूषण दिखाता है। तभी लक्ष्मण बोलते हैं नाथ क्यां बतलाऊं….। कुंडल है चीज कान की पहचान क्या करूं। माता सीता के नाथ में चरणें का दास हूं। देखा नहीं है आज तक मुहं का तेज भी। उत्तर भला मैं किस तरह इसका शिताब दूं। भूषण जो कोई पैर का माता के हो प्रभु। लांखों से उसको छांट कर फौरन निकाल दूं….। प्रभु मैं माता के आभूषणों को नहीं पहचानता, मैं तो सदैव उनके चरणों में सिर झुकाता था, उस वख्त मुझे उनके पैरों का जेवर अवश्य नजर आता था। यह संवाद राम और लक्ष्मण के बीच श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी सेक्टर-15 के मंच पर आठवें दिन सोमवार की रात को दिखाया गया। लक्ष्मण के संवाद पर पंडाल तालियों से गूंज उठा।
दूसरा दृश्य बाली बध दिखाया गया। तीसरे दृश्य में हनुमान जी, माता सीता की खोज में अशोक वाटिका की ओर जाते हैं। जहां उनकी मुलाकात सीता जी से होती हैं। हनुमान जी कहते हैं घबराओ नहीं मां….। मैं यहां भगवान राम की आज्ञा से यहां आया हूं और आपके लिए शुभ संदेश लाया हूं। यह सुन सीता जी कहती है….पहले अपना कुछ परिचय दीजिये, मैं बहुत दुखी हूं, दीन और निर्बल हो रही हूं। मुझ पर दया कीजिये। जिस पर हनुमान, सीता को राम जी की अंगुठी देते हैं। जिसे देख सीता कहती है….इसमें अंकित नाम है मेरे पति भगवान का। अब असंभव है भला क्या दूं सिला एहसान का।
चौथे दृश्य में रावण दरबार का दृश्य दिखाया गया। रामलीला में राम की भूमिका में रितेश कुमार, लक्ष्मण की भूमिका में अनिल चावला, रावण की भूमिका श्रवण चावला, सीता की भूमिका योगांधा वशिष्ठ, हनुमान की भूमिका कैलाश चावला ने निभाई।
फोटो- सीता जी और हनुमान जी का संवाद।