आज़ादी  के सच्चे प्रेरणा स्त्रोत शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह : भारत भूषण

आज़ादी  के सच्चे प्रेरणा स्त्रोत शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह : भारत भूषण
bharat bhushan sharma faridabad
TodayBhaskar.com
Faridabad| जनहित सेवा संस्था ने शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह का बलिदान दिवस मनाया। एक बार सांस लेना भूल जाना मगर वीर शहीदों का बलिदान मत भूल जाना भारत भूषण ने कहा। आज के युवाओं को सरदार भगतसिंह के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए भारत भूषण
सामाजिक संस्था जनहित सेवा संस्था फरीदाबाद ने अपने कार्यालय सैक्टर 2 पर शहीदी दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर सभी ने मिलकर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी व शहीदों को नमन किया ।सभा की अध्यक्षता कर रहे संस्था के प्रधान संत सिंह हुड्डा ने इस अवसर पर कहा कि आजादी के क्रांति दूत अमर शहीद शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीदी दिवस पर मेरा शत-शत नमन । मां भारती के इन महान सपूतों का बलिदान देश की हर पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी भारत भूषण शर्मा चेयरमैन कुंदन ग्रीन वैली स्कूल ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श है ।इन तीनों वीरो की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीदी दिवस मनाया जाता है। इन क्रांतिकारियों की शहादत को हमेशा पूरा देश याद करता रहेगा। तीन परिंदों उड़े तो आसमान रो पड़ा, ये हस रहे थे ,मगर हिंदुस्तान रो पड़ा। यह सच्चे सपूत थे माता के अपना सुख- दुख सब भूल गए ।
माता की बेड़ी तोड़ने को हंसते-हंसते फांसी झूल गए। एक बार सांस लेना भूल जाना मगर क्रांतिकारियों का बलिदान दिवस मत भूल जाना ।आज उन्हीं की बदौलत हम आजादी की सांस ले रहे हैं। भगत सिंह के जीवन से आज के युवाओं को प्रेरणा लेने की विशेष जरूरत है। संस्था के महासचिव सुभाष गहलोत ने इस अवसर पर कहा कि भगत सिंह युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था।
श्रद्धांजलि सभा में संस्था के महासचिव सुभाष गहलोत, संस्था के मुख्य सचिव देवी चरण वैष्णव, संस्था के कोषाध्यक्ष लोकेश शास्त्री, संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर प्रवेश लांबा, संस्था के उपाध्यक्ष पंडित ओम दत्त शास्त्री, सचिव सुनील शास्त्री, लक्की वर्मा, दीपक गोयल, बबलू छाबड़ा, सुनील चौधरी, सुंदर तेवतिया विशेष रूप से मौजूद थे।

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