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Faridabad| सतयुग दर्शन विद्यालय ने अपना वार्षिक उत्सव बहुत ही अद्भुत दृश्यों, प्रस्तुतियों और विहंगम नजारों के साथ प्रस्तुत करते हुए धूमधाम से मनाया। यह उत्सव सतयुग दर्शन ट्रस्ट के विशाल एवं भव्य दिखाई देने वाले ऑडिटोरियम [सभागार] में मनाया गया।
इस बार के उत्सव का शीर्षक ‘अतुल्य भारत’ था। वार्षिकोत्सव का शुभारंभ विद्यालय की परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलित करके किया गया। एक ही मंच पर सम्पूर्ण भारत की सुंदर झलकियाँ आकर्षक एवं मनमोहक ढंग से प्रस्तुत की गई।
भारत की वैदिक, पौराणिक एवं आर्ष संस्कृति से सभी आगंतुकों को परिचित कराया गया। वेद, शास्त्र, उपनिषद, पुराण , रामायण, महाभारत, कुरान, आदि सभी धर्म ग्रंथों के सार मानवता का संदेश दिया गया। विद्यालय के छात्र – छात्राओं ने भारत के प्रत्येक राज्य की भाषा, संस्कृति, जीवन शैली को हूबहू जीवंत कर डाला।दर्शक दीर्घा में उपस्थित हुए दर्शकों, अभिभावकों, अतिथियों की करताल रुकने का नाम नहीं ले रही थी।कभी नृत्य, कभी गायन तो कभी नाटकों ने सभी का मन मोह लिया। सम्पूर्ण सभागार की भव्यता भी अपने आप में अतुलनीय थी। आर्ट एंड क्राफ्ट की सुंदर व बेमिसाल कृतियों से ऑडिटोरियम दुल्हन की सजा हुआ था।
उत्सव अपने आप में विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों एवं संस्कृतियों का बेजोड़ संग्रह था। भारत की अनेकता को एकता के सूत्र में पिरो कर सुंदर एवं समन्वित ढंग से प्रस्तुत किया गया। वर्तमान समय में जहाँ नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है , इसे ध्यान में रखते हुए अनेक मानवीय मूल्यों पर आधारित कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। पर्यावरण की स्वच्छता एवं सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने हेतु भी सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिसकी वर्तमान परिपेक्ष्य में महती आवश्यकता है। कार्यक्रम को आध्यात्मिकता के साथ भी जोड़े रखा गया, जो कि आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है। वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में सतयुग दर्शन ट्रस्ट के सर संघ श्री सज्जन जी ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया । इस अवसर पर सतयुग दर्शन विद्यालय के चेयरमैन श्री कैलाश ढींगरा जी, सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र की चेयरपर्सन श्रीमती अनुपमा तलवार जी एवं प्रिंसिपल श्री दीपेन्द्र कांत जी, सतयुग दर्शन टेक्निकल कैम्पस के सभी वरिष्ठ एवं कनिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे ।
डॉ० श्रीश भारद्वाज डायरेक्टर प्रिंसिपल ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा छात्रों को शिक्षा का एक संस्कारित, स्वस्थ एवं सुरक्षित माहौल प्रदान करने का विश्वास भी अभिभावकों को दिया।