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faridabad। बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं। छात्रों में परीक्षा को लेकर बहुत दबाव होता हैं कि कितनी पढ़ाई कर लें, जिससे पेपर में आने वाले सारे सवालों को हल कर सकें। लेकिन विद्यार्थियों को बिना दबाव के सामान्य रूप से परीक्षाओं की तैयारी करनी चाहिए क्योंकि तनाव की वजह से विद्यार्थियों का प्रदर्शन खराब हो जाता है।
यह बात विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कही। उन्होंने कहा कि माता-पिता छात्रों से उम्मीद रखते हैं कि उनका बच्चा अगर 95 परसेंट लाएगा तो उसे किसी अच्छे कॉलेज में पढ़ाई के लिए एडमिशन मिल जायेगा। अभिभावक भी छात्र को परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए अनेक मार्ग दर्शन कराते हैं, जिससे बच्चा अच्छे परसेंटेज के साथ स्कूल टॉप कर सके।
ऐसे में स्टूडेंट्स को बहुत-सारी चिंता हो जाती हैं कि अगर पेरेंट्स के उम्मीद पर खरे नहीं उतरे तो उनको क्या सजा मिलेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इससे छात्र बहुत ही परेशान हो जाते है। इन अपेक्षाओं के कारण बच्चा तो तनाव में रहता ही है साथ ही अभिभावक भी चिंतित रहते हैं। यादव ने कहा कि कई विद्यार्थी प्रतिवर्ष बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के दौरान तनाव को नहीं झेल पाते हैं।
वे इससे बचने के लिए जीवन से पलायन का मार्ग ढूंढ लेते हैं। प्रत्यक्ष तौर पर इसके लिए विद्यार्थी ही जिम्मेदार नजर आते हैं लेकिन ये एक सामूहिक जिम्मेदारी है। बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चे पर पडऩे वाले मानसिक दबाव के लिए अभिभावक, शिक्षक, परिवार का माहौल, विद्यालय का वातावरण, विद्यालय के इस दिशा में विद्यार्थियों के लिए किए गए सामूहिक प्रयास, मित्रगण, कोचिंग क्लॉसेज का वातावरण सभी इसमें सामूहिक रूप से जिम्मेदार होते हैं। दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं का तनाव सिर्फ विद्यार्थियों पर ही नहीं वरन उनके परिवार पर होता है।
यादव ने कहा कि विद्यार्थियों को भी शॉर्टकट का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। पाठयपुस्तकों से और अन्य पुस्तकों से पढ़ाई करनी चाहिए ताकि विषय वस्तु उन्हें अच्छी तरह समझ आ सके। विद्यार्थियों को उनकी समस्या के बारे में बातचीत के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। शिक्षकों को धैर्यपूर्वक और सही तरीके से विद्यार्थी की समस्या का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए। परिवार में वातावरण शांत होना चाहिए। पढ़ाई का वातावरण होना चाहिए। ज्यादा शोर या लोगों का आना जाना पढ़ाई को बाधित करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ाई के अतिरिक्त कम से कम आधा घंटा अपनी रूचि के कार्य को करने में व्यतीत करना चाहिए। चाहे वो मनोरंजन हो या खेल या घूमना, जिससे कि उसका तन और मन दोनों पुन: तरोताजा हो सकें और मानसिक दबाव भी कम हो सके। साथ ही साथ विद्यार्थियों को नींद पूरी करनी चाहिए। विद्यालय एवं घर में भी बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।