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नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने आज यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोनों रणनीतिक भागीदार देशों के बीच रक्षा, उर्जा और व्यापार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार पर बातचीत की। दोनों देशों के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जबकि रूस की अर्थव्यवस्था पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से जूझ रही है।
पुतिन कल रात यहां पहुंचे। वह भारत को सैन्य साजो सामन की आपूर्ति बढाने तथा विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के विस्तार पर बल दे सकते हैं। यह पुतिन और मोदी के बीच पहला सालाना शिखर सम्मेलन है। दोनों नेता जुलाई में ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन में मिले थे। इनकी दूसरी मुलकात भी एक बहुपक्षीय सम्मेलन में हुई जब वे पिछले महीने आस्ट्रेलिया में जी-20 सम्मेलन में भाग लेने गए थे।
मोदी ने पुतिन की यात्रा को लेकर पिछली रात ट्विटर एक संदेश में कहा, ‘ समय बदला है, हमारी दोस्ती नहीं। अब हम इस संबंध को नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं और यह यात्रा इस दिशा में की गई पहल है।’ रूस और भारत के बीच 2000 से बारी बारी से एक दूसरे के यहां शिखर बैठक होती है।
प्रधानमंत्री ने अगले ट्वीट में कहा, ‘रूस और भारत की जनता के बीच बड़े मजबूत संबंध हैं। ये दोनों देश अच्छे बुरे, हर दौर में एक दूसरे के साथ खड़े रहे है।’ मोदी के साथ एकांत और शिष्टमंडल स्तर की वार्ता में पुतिन भारत के साथ आर्थिक सम्पर्क को और गहराई प्रदान करने पर विचार कर सकते हैं ताकि वे यूक्रेन मामले में रूस पर अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के असर को कम कर सकें।
अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत अपनी उर्जा आवश्यकताओं के लिए रूस की प्रमुख गैस एवं तेल उत्खनन परियोजनाओं में ज्यादा भागीदारी के लिए प्रयास करता रहा है। दोनों देशों के नेता इस शिखर बैठक में इस मामले पर भी चर्चा कर सकते हैं। रूस वैश्विक शीर्ष तेल उत्पादकों में शामिल है। वहां प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार है।
यूक्रेन संकट में हस्तक्षेप के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वहां भारत से निर्यात – विशेष तौर पर खाद्य उत्पादों का निर्यात- बढ़ा है। भारत कह चुका है कि वह रूस के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई में शामिल नहीं हो सकता है। दोनों नेता रूस से भारत को अनगढ़ हीरे की आपूर्ति बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं। रूस वैश्विक स्तर पर बगैर तराशे हुए हीरे का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत इसके सबसे बड़े आयातकों में है।