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केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं के प्रवेश की इजाजत के बाद बुधवार को पहली बार इसके कपाट खुले. बुधवार को यहां काफी हंगामा हुआ और हजारों महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की नाकाम कोशिशें की. हालांकि, मंदिर के श्रद्धालुओं ने उन्हें रोका, वहां मारपीट हुई और काफी हिंसा भी हुई. इस मुद्दे पर आज कई संगठनों द्वारा केरल बंद का ऐलान किया गया है.
इस सब के बीच भी महिलाएं बुधवार को मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गई थीं. अब गुरुवार को कोशिश इससे भी आगे जाने की हो रही है| बुधवार को भी वह मंदिर की तरफ जाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोक दिया था. अब आज वह कड़ी सुरक्षा के बीच पहाड़ी के रास्ते से मंदिर जा रही थीं. लेकिन उन्हें वापस जाने को कहा गया, वह खुद भी मान गई. उन्होंने कहा कि वह यहां पर कोई मुसीबत नहीं खड़ी करना चाहती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पहली बार 17 अक्टूबर शाम 5 बजे जब कपाट खुले तो पूरे देश की नजरें मंदिर पर टिकी थीं. उससे पहले वहां काफी हंगामा हुआ, प्रदर्शनकारियों ने महिला पत्रकारों को निशाना बनाया|
सबरीमाला मंदिर में बुधवार को 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं ने ही प्रवेश किया. सुरक्षा कारणों के चलते 10-50 साल की उम्र के बीच की महिलाएं मंदिर तक नहीं पहुंचीं. इस बीच महिलाओं के अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने भी सबरीमाला मंदिर जाने का ऐलान कर दिया है. वह आज रात ही मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगी.
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा को गलत बताते हुए उसे खत्म कर दिया था और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी थी.