Yashvi Goyal
फरीदाबाद। यदि कोई शादी-शुदा जोड़ा एक साल तक यौन संबंध बना रहा है और उसके बाद भी महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है। तो वह अवश्य ही बांझपन की शिकार है। हालांकि बांझपन के कई कारण होते हैं और यह बांझपन महिला अथवा पुरुष दोनों में से किसी एक अथवा दोनों के कारण भी हो सकती है।
हमने इस बारे में विस्तार से जानकारी ली समयपुर रोड स्थित पवन अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपाली श्रीवास्तव से।
डॉ. रूपाली ने बताया कि हमारे देश में बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है लेकिन आज विज्ञान में इसका सफल इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि यह जरूरी नहीं कि यदि महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तो इसका दोष महिला में ही होगा, 30 प्रतिशत पुरुषों में भी दोष के कारण महिला गर्भवती नहीं हो पाती है। 40 प्रतिशत महिलाओं में कमी होती है और 30 प्रतिशत दोनों में कमी पाई जाती है। लेकिन आज पवन अस्पताल में बांझपन की समस्या दूर करने के लिए हर तकनीक उपलब्ध है।
डॉ. रूपाली ने बताया कि महिलाओं को प्रेगनेंट होने के लिए अंडाशय में अंडों का बनना जरूरी होता है। जब अंडाशय में अंडों का निर्माण होता है तो ये अंडे फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में पहुंचते हैं। वहां जब पुरुष का स्पर्म महिला के अंडे से मिलता है तो निषेचन की क्रिया होती है। इसके बाद निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है और भ्रूण के रूप में विकसित होने लगता है। इसकी अवधि पूरी हो जाने के बाद महिला बच्चे को जन्म देती है। लेकिन जिन महिलाओं के गर्भाशय में ये पूरी प्रक्रिया नहीं हो पाती है उन महिलाओं को बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से एक कारण महिला की उम्र भी हो सकता है। जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है उसे गर्भधारण करने में कठिनाई होती है क्योंकि अंडे कम होने लगते हैं। इस प्रकार से उसका प्रजनन काल भी कम होने लगता है। माना जाता है कि 30 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करने की क्षमता घटने लगती है।
इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं जिनमें फैलोपियन ट्यूब द्वारा अंडाशय से गर्भाशय तक अंडे पहुंचाने रुकावट, पेल्विक में इंफेक्शन, किसी सर्जरी के कारण फैलोपियन ट्यूब का क्षतिग्रस्त हो जाना आदि अनेक कारण हो सकते हैं। लेकिन डा रुपाली का दावा है कि उनके यहां सभी प्रकार से होने वाले बांझपन का इलाज संभव है।