Yashvi Goyal
Faridabad। साइकोन्यूरोबिक्स के जनक डॉ. बीके चंद्रशेखर ने बताया कि यदि मनुष्य अपना जीवन सुखी एवं स्वस्थ तरीके से जीना चाहता है तो उसे रास, रंग एवं नाद क्रियाओं को अपनाना होगा। उन्होंने बताया कि पुरानी जीवन-शैली में रास, रंग एवं नाद के माध्यम से मनुष्य में चय आपचय दर काफी कम रहती थी, जिससे जीवन-काल अधिक था और बेहतर भी था। लोग हमेशा युवा प्रतीत होते थे। इन क्रियाओं को करने से हमारे शरीर की उर्जा शरीर में अंदर ही समाहित रहती है, जबकि आज यह उर्जा हर समय बाहर निकल रही है। जिससे मनुष्य का मन और मस्तिष्क कमजोर हो रहा है। डॉ. बीके चंद्रशेखर ने रास, रंग और नाद के बारे में विस्तार से बताया।
#1. लयबद्ध नृत्य (रास)-लयबद्ध नृत्य में पैरों और हाथों की अनूठी मुद्राएं होती हैं, जिनसे हमारी उर्जा हमारे अंदर ही समा जाती है। जबकि आजकल हमारी यह उर्जा बाहर निकल जाती है। इस नृत्य से हमारी शत-प्रतिशत मानसिक उर्जा हमारे मस्तिष्क से होते हुए हमारे तंत्रिका-तंत्र में स्थानान्तरित होती है।
#2.विभिन्न मणियों के रंग (रंग)- प्राचीन काल में लोग विभिन्न प्रकार की मणियां धारण करते थें, जिनसे निकलने वाले तरह-तरह के रंगों के रेडियेशन से शरीर में चयापचय निम्न स्तर पर बना रहता था। इसलिए उस समय मनुष्य की आयु 150 वर्ष तक हुआ करती थी।
#3. विभिन्न संगीत वाद्य-यंत्रों की ध्वनियां (नाद) विभिन्न संगीत वाद्य-यंत्रों से निकलने वाली ध्वनियां जब वातावरण में गूंजती हैं हमें सुनाई देती है, उनसे भी संपूर्ण तन और मन में सुखद अनुभूति होती है।
डॉ. बीके चंद्रशेखर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इन तीन क्रियाओं को अपने जीवन में जरूर अपनाएं।
अधिक जानकारी के लिए आप डा बीके चंद्रशेखरजी से सिगफा सॉल्यूशंस, बी-845, गेट नंबर चार,ग्रीनफील्ड कॉलोनी, फरीदाबाद पर शिवशंकर जी से मोबाइल नंबर 9213361561 पर समय लेकर मिल सकते हैं।