प्राकृतिक आपदा व संकट की घड़ी में काम आएगी लिट्टी

प्राकृतिक आपदा व संकट की घड़ी में काम आएगी लिट्टी
litti chokha in surajkund mela
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– बिहार के सीएम नितिश कुमार ने लिट्टी को सरकारी संरक्षण देने पर जताई सहमति
– अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में बिहार फूड स्टॉल पर लिट्टी चोखा लाइन लगकर बिक रहा है
Yashvi Goyal
फरीदाबाद।  बिहार के लजीज व्यंजन लिट्टी चोखा का लोहा पूसा इंस्टीट्यूट ने भी मान लिया है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के इस पसंदीदा भोजन को प्राकृतिक आपदा एवं अन्य संकट की घड़ी में प्राण रक्षक माना गया है। बिहार के सीएम नितिश कुमार भी इस भोजन को राजकीय संरक्षण देने पर सहमति जता चुके हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह और फिल्मी जगत के महानायक अमिताभ बच्चन को लिट्टी चोखा खिला चुके डॉ. रामनाथ प्रसाद इस बार अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में पर्यटकों को यह लजीज व्यंजन मेथी की चटनी के साथ परोस रहे हैं। बिहार एवं झारखंड का पसंदीदा खाना लिट्टी चोखा मेले में लोगों को खूब पसंद आ रहा है। बिहार फूड स्टॉल पर डॉ. रामनाथ प्रसाद ने बताया कि वह 32 साल से लिट्टी चोखा बना रहे हैं और बड़े-बड़े लोगों को अपने हाथ का स्वाद चखा चुके हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने तो उनके हाथ के स्वाद की तारीफ भी की थी लेकिन पहली बार उन्हें इस मेले में आने का अवसर प्राप्त हुआ है। रामनाथ प्रसाद ने बताया कि लिट्टी चोखा का रिश्ता द्वापर युग से है जो आज तक चला आ रहा है।

#संकट की घड़ी में प्राण बचाएगा लिट्टी चोखा
डॉ. रामनाथ प्रसाद ने बताया कि लिट्टी एक ऐसा खाद्य पदार्थ है। जो आठ माह बाद भी खराब नहीं होता है। पंजाब के पूसा इंस्टीट्यूट में भी साबित हो चुका है कि इसे एक बार बनाने के बाद आठ से दस माह तक संरक्षित किया जा सकता है। जो देश के किसी भी कोने में बाढ़, भूकंप कोई प्राकृतिक आपदा आने पर वहां के लोगों के लिए खाद्य पदार्थ के रूप में काम आ सकता है। उन्होंने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने भी इस व्यंजन को संरक्षित करने पर सहमति जताई है और वह बहुत जल्द एक योजना के जरिए लिट्टी को बिहार में मजबूती देने वाले हैं ताकि वहां इसे बनाकर संरक्षित किया जा सके और कहीं भी प्राकृतिक आपदा अथवा संकट की अन्य किसी घड़ी में फंसे लोगों को भोजन रूप में देकर प्राणरक्षा की जा सके।

#सतयुग और द्वापर युग में देवी-देवताओं के साथ लिट्टी चोखा के प्रमाण
डॉ. रामनाथ प्रसाद ने बताया कि लिट्टी चोखा आज का खाना नहीं है बल्कि यह तो सतयुग से चला आ रहा है। सीता मईया ने श्रीराम जी को खिलाया था और द्वापर युग में जब पांडवों को वनवास मिला था तो द्रोपदी ने जंगल में बिना किसी बर्तन की मदद लिए इसे लकड़ी जलाकर पकाकर पांडवों को खिलाया था।

#पौष्टिकता से भरी होती है लिट्टी
डॉ. रामनाथ प्रसाद ने बताया कि लिट्टी केवल स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि यह पौष्टिकता से भरी हुई होती है। उन्होंने बताया कि लिट्टी को आटा, दूध, शुद्ध देशी घी, चने का सत्तू, 32 मसालों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसमें ऐसे मसाले ड़ाले जाते हैं जो सेहत के लिए हर तरह से लाभदायक होते हैं।

#बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का पसंदीदा खाना लिट्टी चोखा
लिट्टी चोखा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का पसंदीदा खाना है। वहां के लोग इसे नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। डॉ. रामनाथ प्रसाद ने बताया कि जब लडक़ी को देखने के लिए लडक़े वाले आते हैं तो लिट्टी चोखा ही खिलाया जाता है। हर खुशी के मौके पर बिहार में लिट्टी चोखा बनाने का चलन है और वहां के लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं।

#लाइन लगकर बिक रहा लिट्टी चोखा
अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में बिहार फूड स्टॉल पर लिट्टी चोखा लाइन लगकर बिक रहा है। लोगों को कहना है कि कभी बिहार तो जाना हुआ नहीं, लेकिन यहां तो बिहार का पांरपरिक खाना खा ही सकते हैं। मेले में यह 80 रूपये में एक प्लेट मिल रहा है।

#आप भी मेले में इसका आनंद ले सकते हैं|

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