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Faridabad| मधुसुदन माटोलिया ने बताया कि इस महाऔषधि के पश्चात गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, तला-भुना, मिर्च, नशीले पदार्थ, सिगरेट, बीड़ी, पान-तंबाकू आदि का सेवन कम से कम एक सप्ताह तक निषेध है। यह महाऔषधि पहले से चल रही अंग्रेजी, आयुर्वेदिक या होमियोपैथिक दवाओं के साथ भी सेवन की जा सकती है।
स्माइल कैम्पेन संस्था के अध्यक्ष प्रदीप महापात्रा ने बताया कि यह महाऔषधि (सूर्योदय से पहले) तक ही सेवन करने पर अद्भुत, अपेक्षीय, अकल्पनीय* लाभ देती है। अतः रोगीयो को कुल्ला-मंजन करके तथा दैनिक कार्य से निवृत हो कर ही इस महाऔषधि का सेवन करना चाहिए। यह फरीदाबाद में माता वैष्णव देवी मंदिर, श्री सालासर बालाजी एवं खाटू श्याम मंदिर कैली धाम बल्लभगढ़ पर सुबह 4 से साढे छह बजे तक वितरित की गई ।
विमल खण्डेलवाल ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा एवम पृथ्वी की दूरी न्यूनतम होती है, फलस्वरूप चंद्रमा की 16 कलाओं से निकलने वाली अद्भुत प्रभावशाली किरणें सम्पूर्ण सृष्टि पर एक स्कारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह दवाई वर्ष में एक बार ही खिलाई जाती है।
वैद्यनाथ से वैद्य आशीष मिश्रा ने बताया कि यह महाऔषधि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात से प्रकाशित खीर में मिला कर दी जाती है। इस महाऔषधि को 5 वर्ष तक सेवन करना चाहिए। रोगी को यह *महाऔषधि प्रातः काल मे बिना कुछ खाये सेवन करवाया जाता है।
दवाई वितरण के लिए खाण्डल समाज फरीदाबाद एवं स्माइल कैम्पेन संस्था के राजेंद्र मूंधड़ा, हुल्लास गट्टानी संपत रिणवा कमल माटोलिया रवि भाटी अदि कई सदस्य मौजूद थे ।