भारत ने लॉन्च किया सबसे भारी रॉकेट

भारत ने लॉन्च किया सबसे भारी रॉकेट
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टुडे भास्कर डॉट कॉम
श्रीहरिकोटा। भारत ने अब तक के अपने सबसे वजनी व नवीनतम पीढ़ी के रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का गुरुवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह रॉकेट अपने साथ प्रायोगिक क्रू मॉड्यूल भी लेकर गया है, जो मानवरहित है। भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान-मार्क3 (जीएसएलवी-मार्क3) का परीक्षण गुरुवार को सुबह 9.30 बजे आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। 630 टन वजनी और 43.43 मीटर लंबे इस अंतरिक्ष यान ने प्रक्षेपण के कुछ ही सेकंडों में अपने को दूसरे लांच पैड से अलग कर लिया और आकाश में उडमन भरी।
यह बहुत तेज गति से नीचे की ओर उतरा और फिर इंदिरा प्वाइंट से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में उतर गया। इंदिरा प्वाइंट अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का दक्षिणतम बिंदू है। एलवीएम3-एक्स की इस उड़ान के तहत इसमें सक्रिय एस 200 और एल 110 के प्रणोदक चरण हैं। इसके अलावा एक प्रतिरूपी ईंजन के साथ एक निष्क्रिय सी25 चरण है, जिसमें सीएआरई (क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट) इसके पेलोड के रूप में साथ गया है
तीन टन से ज्यादा वजन और 2.7 मीटर लंबाई वाले कप-केक के आकार के इस चालक दल मॉड्यूल को आगरा स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट में विशेष तौर पर तैयार किए गए पैराशूटों की मदद से समुद्र में उतारा जाना था। 3.1 मीटर के व्यास वाले इस चालक दल माड्यूल की आंतरिक सतह पर एल्यूमीनियम की मिश्र धातु लगी है और इसमें विभिन्न पैनल एवं तापमान के कारण क्षरण से सुरक्षा करने वाले तंत्र हैं।
देश के सबसे बड़े रॉकेट का प्रक्षेपण सफल
इस परीक्षण के तहत देश में बने अब तक के सबसे बड़े पैराशूट का भी इस्तेमाल किया गया। 31 मीटर के व्यास वाले इस मुख्य पैराशूट की मदद से ही चालक दल मॉड्यूल ने जल की सतह को सात मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार के साथ छुआ। सफल प्रायोगिक परीक्षण के कुछ ही समय बाद इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने आनंदित स्वर में कहा, ‘चार टन वजन की श्रेणी के तहत आने वाले संचार उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में समर्थ, आधुनिक प्रक्षेपण वाहन के विकास के कारण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है।

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