बड़ी जोर-शोर से शुरू हुई गीता जयंती

बड़ी जोर-शोर से शुरू हुई गीता जयंती
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हरियाणा सरकार के मुख्य संसदीय सचिव को को प्रसाद व तस्वीर भेंट करती राजयोगनी ब्रह्माकुमारीज़ उषा

todaybhaskar.com
faridabad। महाभारत युद्ध के समय विचलित हुए पांडव योद्धा अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सारथी रूवरूप दिया गया श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश हमारे देश की एक ऐसी सर्वजन मार्गदर्शक धार्मिक एवं ज्ञानप्रद पुस्तक व धरोहर है जो कि पूरे विश्व के लोगों का जीवन दर्शन करने में सक्षम है।
यह विचार हरियाणा सरकार के मुख्य संसदीय सचिव सरदार बख्शीश सिंह ने आज यहां सेक्टर-12 स्थित हुडा कन्वेंशन सैन्टर में शुरू हुए तीनदिवसीय गीता जयन्ती महोत्सव समारोह का बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन करने उपरान्त अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। इस मौके पर पृथला के बसपा विधायक टेकचन्द शर्मा, उपायुक्त डॉ. अमित कुमार अग्रवाल, पुलिस आयुक्त सुभाष यादव, अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया, हुडा प्रशासक डॉ. गरिमा मित्तल, नगराधीश डॉ. गौरव अंतिल तथा फरीदाबाद के एसडीएम महाबीर प्रसाद प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि सिंह ने रिबन काट कर इस महोत्सव एवं चित्र प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने विभिन्न धार्मिक एवं समाजसेवी संस्थाओं द्वारा लगाई गई चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
बख्शीश सिंह ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया संदेश सदैव व्यावहारिक रहा है और भविष्य में भी रहेगा। महाभारत काल को लगभग 5150 वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है परन्तु गीता में दिया गया हर संदेश भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लिए भी प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि वे पिछले दिनों कनाडा दौरे पर गए तो वहां पर बसे भारतीयों के अलावा कनाडावासियों के गीता उपदेश के प्रति लगाव को देखकर दंग रह गए। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक महापुरूषों ने गीता पढक़र अपने जीवन में चरितार्थ की और प्रशंसनीय विचार लिखे। इनमें हेनरी डेविड थोरो, अल्बर्ट आईंस्टीन, गेडेस मैकग्रेगर, सुनीता विलियम्स, वोरन हेस्ंिटग, अलबेरूनी, डॉ. एनी बेसेन्ट, इमर्सन व दारा सिकोह आदि अन्य कई महापुरूषों के नाम शामिल हैं। बख्शीश सिंह ने कहा कि महाभारत की धरती कुरूक्षेत्र में तो हर वर्ष गीता जयन्ती महोत्सव बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार ने इस वर्ष पहली बार गीता जयन्ती समारोह को प्रदेश के प्रत्येक जिलास्तर पर 19 से 21 दिसम्बर तक तीनदिवसीय महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह नि:सन्देह ऐतिहासिक व अपार हर्ष का विषय है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे इस उत्सव में बढ़ चढ़ कर भाग लें और श्रीमद् भागवत गीता के व्यावहारिक ज्ञान से लाभान्वित हों।

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