-स्लम के बच्चों को बना रहे आने वाले भारत का भविष्य
यशवी गोयल
फरीदाबाद। आजादी के 70 वर्ष बीत जाने पर भी निरक्षरता हमारे देश के लिए अभिशाप बनी हुई है। अक्सर देखने में आता है कि रुपये के अभाव में या घर में आर्थिक तंगी के कारण कुछ बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। जिससे आगे चलकर उनका जीवन अभिशाप बन जाता है और हर मोड़ पर उन्हें इस बात से शर्मिंदा होना पड़ता है कि वह शिक्षित नहीं हैं। इसी निरक्षरता को खत्म करने के लिए जिले के कुछ समाजसेवी जरूरतमंदों को शिक्षित बनाने में जुटे हैं।
वर्ष 2003 में स्थापित स्त्री शक्ति पहल एनजीओ जरूरतमंद एवं कूड़ा बीनने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम करती है। एनजीओ की प्रधान पूनम सिनसिनवार का कहना है कि वह शादी करके दिल्ली से फरीदाबाद आईं, तो उन्होंने देखा कि किस तरह मासूम बच्चे अपना बचपन कूड़ा बीनने में बीता रहे हैं। जिसे देख उन्होंने मन में उन बच्चों को शिक्षित करने का प्रण लिया और सन् 2003 में स्त्री शक्ति पहल नामक एनजीओ का गठन किया। सेक्टर-24 के कम्यूनिटी सेंटर में बने कमरों को उन्होंने पाठशाला में तब्दील कर दिया और जरूरतमंद एवं कूडा बीनने वाले बच्चों को शिक्षित करने लगीं। उन्होंने बताया कि शुरूआत के दिनों में बच्चों को पाठशाला तक लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। हालांकि परिवार एवं समाज के सहयोग से आज इस पाठशाला से करीब सात हजार बच्चे शिक्षित होकर इंजीनियरिंग, अध्यापन एवं अन्य कामों में लगे हुए हैं। पूनम ने बताया कि फिलहाल एनजीओ की ओर से चौथी कक्षा तक ही बच्चों को शिक्षा दी जाती है। वहीं आगे पढऩे वाले इच्छुक बच्चों को वह एनजीओ के खर्च पर सरकारी स्कूल में दाखिला करवाती है और उनके पढ़ऩे का खर्च भी उठाती हंै।
पूनम सिनसिनवार का कहना है कि शिक्षा ही एक ऐसी पूंजी जिसे न तो कोई चुरा सकता है, न कोई छीन सकता है। इसलिए प्रत्येक बच्चे का शिक्षित होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उनके जीवन का यही लक्ष्य है कि हर बच्चा शिक्षित हो।
#शिक्षा के प्रति कर रहीं जागरूक
बदलाव हमारी कोशिश एनजीओ की अध्यक्ष सुुषमा यादव का कहना है कि वह आजादी के इतने वर्ष बीतने पर भी आज कुछ बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। जिसको देखते हुए उन्होंने सेक्टर-दो स्थित झुग्गियों में रहने वाले बच्चोंं को रोजाना सुबह पढ़़ाना शुरू किया। उन्होंंने बताया कि हाल ही में एनजीओ की ओर से बच्चों को पेंसिल, कॉपी, किताब एवं जरूरतमंद चीजें बांटी गई थीं। सुषमा का कहना है कि पैसों की तंगी के कारण झुग्गियों में रहने वाले बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे वह रोजाना सुबह के समय यहां जाकर न केवल बच्चों को पढ़ाती है बल्कि इनके परिजनों को शिक्षा के प्रति जागरूक भी करती हैं।
#स्लम बस्तियों में बांट रहे शिक्षा
पेशे से डॉ. हेमंत अत्री का दूसरा काम समाजसेवा है। वह स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम करते हैं। डॉ. हेमंत अत्री ने बताया कि वह प्रत्येक रविवार को कृष्णा कॉलोनी, मिल्हाड कॉलोनी व आस-पास बसी कॉलोनी के बच्चों को पढ़ाते हैं। वहीं जरूरतमंद बच्चों को वह किताब व कॉपी भी दिलवाते हैं। ताकि कोई भी बच्चा किताब, कॉपी के अभाव में शिक्षा से वंचित न रह जाए। हाल ही में डॉ. हेमंत अत्री को उत्तराखंड सैल्यूट अवार्ड से नवाजा गया है।