-‘वाटरमैन आफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध डॉ राजेन्द्र सिंह ने वाईएमसीए विश्वविद्यालय में सेमिनार को किया संबोधित
Todaybhaskar.com
Faridabad| प्रसिद्ध जल संरक्षणवादी तथा ‘वाटरमैन आफ इंडिया’ के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अगर हम नदियों के संरक्षण, विस्तार और जीर्णोद्धार करना चाहते है तो हमें खुद को नदियों से जोड़ना होगा।
मैगसेसे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेन्द्र सिंह आज यहां वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के विवेकानंद मंच द्वारा ‘जल और शांति’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर अधिष्ठाता संस्थान प्रो. संदीप ग्रोवर तथा कुलसचिव डॉ. संजय कुमार शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. प्रदीप कुमार तथा डॉ. सोनिया बंसल ने किया।
अपने जीवन में छह नदियों के जीर्णाेद्धार कर चुके डॉ. राजेन्द्र ने कहा कि नदियों के जीर्णोंद्धार के लिए एक सही ज्ञान प्रणाली का होना जरूरी है। यह बताते हुए कि कैसे एक ग्रामीण द्वारा उन्हें जल संरक्षण की स्वदेशी तकनीक का ज्ञान हासिल हुआ, उन्होंने कहा कि नदियों के जीर्णाेंद्धार से पहले हमें जलवायु परिवर्तन के मूल कारण का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि भूजल विज्ञान को लेकर बहुत से विशेषज्ञों से बेहतर ज्ञान ग्रामीणों को होता है। उन्होंने कहा कि भारत समुदाय संचालित विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन प्रणाली में माहरथ हासिल कर लेगा यदि स्वदेशी ज्ञान प्रणाली को बेहतर ढंग से प्रयोग किया जाता। उन्होंने सभी से नदियों के जीर्णाेंद्धार में भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जल संसाधन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
नदियों को जोड़ने की परियोजना का उल्लेख करते हुए डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नदियों को जोड़ने की बजाये हमें अपने मस्तिष्क तथा हृदय को नदियों से जोड़ने की आवश्यकता है। अगर हमें देश को सूखे और बाढ़ से मुक्त करना है तो हम सभी को खुद को जल के साथ जोड़कर चिंतन करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत नीर, नारी और नदी को सम्मान देकर ही विश्व शक्ति बना और अब हमें इनके सम्मान के प्रति संवेदनशील नहीं रहे। हमें एक बार पुनः विश्व गुरू बनने के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सम्मान देना होगा। उन्होंने विश्व के पर्यावरण संगठनों के मुख्य एजेंडे में जल को लाने के लिए अपने संघर्ष के बारे में भी बताया।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने डॉ. राजेन्द्र सिंह का विद्यार्थियों को प्रेरणादायी संबोधन देने के लिए आभार जताया तथा कहा कि जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर चर्चा की जरूरत है। उन्होंने डॉ. राजेन्द्र सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
सेमिनार को बालाजी कालेज आफ एजुकेशन, बल्लभगढ़ के प्राचार्य डॉ. जगदीश चौधरी ने भी संबोधित किया और गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त की।
इस अवसर पर ‘जल और शांति’ शीर्षक पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्लोगन लेखन तथा भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें हितेश्वर मेहला तथा वंदना ने स्लोगन लेखन में क्रमशः पहला और दूसरा पुरस्कार हासिल किया तथा भाषण प्रतियोगिता में तनिशा तथा अभिनव क्रमशः प्रथम व द्वितीय स्थान पर रहे। विजेताओं को नकद पुरस्कार तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।
अपने जीवन में छह नदियों के जीर्णाेद्धार कर चुके डॉ. राजेन्द्र ने कहा कि नदियों के जीर्णोंद्धार के लिए एक सही ज्ञान प्रणाली का होना जरूरी है। यह बताते हुए कि कैसे एक ग्रामीण द्वारा उन्हें जल संरक्षण की स्वदेशी तकनीक का ज्ञान हासिल हुआ, उन्होंने कहा कि नदियों के जीर्णाेंद्धार से पहले हमें जलवायु परिवर्तन के मूल कारण का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि भूजल विज्ञान को लेकर बहुत से विशेषज्ञों से बेहतर ज्ञान ग्रामीणों को होता है। उन्होंने कहा कि भारत समुदाय संचालित विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन प्रणाली में माहरथ हासिल कर लेगा यदि स्वदेशी ज्ञान प्रणाली को बेहतर ढंग से प्रयोग किया जाता। उन्होंने सभी से नदियों के जीर्णाेंद्धार में भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जल संसाधन के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
नदियों को जोड़ने की परियोजना का उल्लेख करते हुए डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नदियों को जोड़ने की बजाये हमें अपने मस्तिष्क तथा हृदय को नदियों से जोड़ने की आवश्यकता है। अगर हमें देश को सूखे और बाढ़ से मुक्त करना है तो हम सभी को खुद को जल के साथ जोड़कर चिंतन करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत नीर, नारी और नदी को सम्मान देकर ही विश्व शक्ति बना और अब हमें इनके सम्मान के प्रति संवेदनशील नहीं रहे। हमें एक बार पुनः विश्व गुरू बनने के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सम्मान देना होगा। उन्होंने विश्व के पर्यावरण संगठनों के मुख्य एजेंडे में जल को लाने के लिए अपने संघर्ष के बारे में भी बताया।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने डॉ. राजेन्द्र सिंह का विद्यार्थियों को प्रेरणादायी संबोधन देने के लिए आभार जताया तथा कहा कि जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर चर्चा की जरूरत है। उन्होंने डॉ. राजेन्द्र सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
सेमिनार को बालाजी कालेज आफ एजुकेशन, बल्लभगढ़ के प्राचार्य डॉ. जगदीश चौधरी ने भी संबोधित किया और गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त की।
इस अवसर पर ‘जल और शांति’ शीर्षक पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्लोगन लेखन तथा भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें हितेश्वर मेहला तथा वंदना ने स्लोगन लेखन में क्रमशः पहला और दूसरा पुरस्कार हासिल किया तथा भाषण प्रतियोगिता में तनिशा तथा अभिनव क्रमशः प्रथम व द्वितीय स्थान पर रहे। विजेताओं को नकद पुरस्कार तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।