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faridabad। ग्राम भूपानी स्थित, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखने वसुन्धरा परिसर पहुंचे आइशर व विद्या मन्दिर स्कूल के छात्र-छात्राएं।
सभी की जानकारी के लिए एकता के प्रतीक नाम से प्रसिद्ध इस भव्य स्थल को सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान माना जाताहै।
उपस्थित सभी बच्चों व उनके अध्यापकों को सतयुग दर्शन वसुन्धरा के मुख्य द्वार पर सभी सजनों को बताया गया कि हम इस सृष्टि के इतिहास के उस निर्णायक मूहुर्त में हैं जो आज तक अपनाए नैतिक मूल्यों को खो रहीहै। इस अनैतिकता से बचने हेतु हमें अतीत से विरासत में प्राप्त पतनकारी विकार वृतिायों के अनुरूप ढले भाव-स्वभावों को निसंकोच व निर्भयता से त्याग ना होगा और भविष्य को अनुशासित ढंग से अपनाने के लिए जाग्रत होना होगा। ऐसे में सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ के अनुसार इस ध्यान-कक्ष से बताई जा रही समभाव-समदृष्टि की युक्ति ही एक मात्र तरीका है जिसको अपनाकर मानव जाति पतन अवस्था से दुबारा उत्कृष्ट पद पर आसीन हो सकती है।