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faridabad| कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने बीकानेर लैंड डील मामले में बुधवार को राबर्ट वाड्रा के करीबी कांग्रेसी विधायक ललित नागर और उनके भाई महेश नागर के आवास व कार्यालय पर एक साथ छापामार कार्रवाई की। टीम ने महेश नागर के पूर्व चालक अशोक उर्फ कलुआ और पूर्व मुनीम रिक्षपाल से भी पूछताछ की। करीब साढ़े पांच घंटे चली जांच पड़ताल में टीम तीनों जगहों से कुछ दस्तावेज, पासबुक, चेकबुक आदि अपने साथ ले गई।
प्रवर्तन निदेशालय प्रवक्ता के मुताबिक २०१४ में सेना की महाजन फायरिंग रेंज स्थापना के लिए वहां से विस्थापितों को बीकानेर के कोलायत इलाके में भूमि आवंटन का था। इस संबंध में स्थानीय तहसीलदार ने २०१५ में राजस्थान के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और भूमाफियाओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। जमीन खरीद में करोड़ों की हेराफेरी होने का संज्ञान लेते हुए ईडी ने २०१५ में प्रिवेेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज कराया था। इस मामले में ईडी ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की एक फर्म को नोटिस भी जारी किया था।
जमीन खरीद में विधायक कनेक्शन
गौरतलब है कि विधायक ललित नागर के छोटे भाई महेश नागर राबर्ट वाड्रा के विश्वासपात्र हैं। वाड्रा ने महेश कुमार को उनकी फर्म के लिए जमीन की खरीद फरो त करने की पावर ऑफ अटार्नी दे रखी थी। बीकानेर की यह जमीन महेश नागर के पूर्व चालक अशोक कुमार उर्फ कलवा के नाम से खरीदी गई थी। बाद मेें यह जमीन राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट को महज ७९ लाख रुपये में बेची गई। स्काईलाइट कंपनी में राबर्ट वाड्रा और उनकी मां मोरीन वाड्रा निदेशक हैं। बाद में स्काईलाइट कंपनी ने यही जमीन एलीजिनी फिनलेज नाम की कंपनी को कई करोड़ रुपयों में बेची।
वहीं इस मामले में विधायक ललित नागर का कहना है कि ईडी और सीबीआई का सहारा लेकर सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके भाई महेश नागर की आड़ लेकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन सत्तापक्ष के यह मसूंबे कभी पूरे नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में आज तक कोई भी गलत कार्य नहीं किया है और न ही उनके भाई महेश नागर किसी भी गलत कार्य में संलिप्त है। उन्होंने कहा कि सुबह 10.30 बजे से सांय चार बजे तक ईडी अधिकारियों ने जांच की और उसके बाद भी उन्हें न कोई जमीन के संबंधित कागजात ही मिले है और न ही कोई सोना-चांदी जेवरात व नगदी उन्हें मिली है