todaybhaskar.com
bihar| बिहार में अगले साल एक अप्रैल से देसी शराब की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहीँ नई उत्पाद और मद्य नीति के तहत विदेशी शराब की बिक्री को भी चिन्हित कर दिया गया है.
यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुक्रवार को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “हम लोगों ने चुनाव के पहले जो कहा था, उस पर निर्णय हो गया है. हम राज्य में पूर्ण शराबबंदी चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे.”
उन्होंने कहा कि पहले चरण में देसी-मसालेदार शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए जो भी आवश्यक क़दम है, उसे पूरा किया जा चुका है.
वहीँ विदेशी शराब का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी बिक्री भी चिन्हित कर दी गई है.
नई नीति लागू होने पर ये दुकानें नगर परिषद और नगर पालिका में ही रहेंगी और इनकी बिक्री निजी दुकानदारों के बजाए सरकार करेगी.
उन्होनें कहा कि पहले चरण के लागू हो जाने से ही प्रदेश के कुल शराब दुकानों की संख्या में क़रीब 90 प्रतिशत की कमी हो जाएगी.
मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इसे सामाजिक और जन-आंदोलन का रूप देने का भी आह्वान किया.
वहीं हाल में हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं का अपार समर्थन पाने वाले नीतीश ने कहा कि यह निर्णय आप लोगों के कहने पर लिया गया है और इसे प्रभावी बनाने के लिए आपकी सक्रिय भूमिका अपेक्षित है.
प्रदेश में सत्तारूढ़ जनता दल के प्रवक्ता ने पहले ही कहा था कि शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगने से बिहार को क़रीब 3200 करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है.
भारत के कई राज्यों में शराब पर पाबंदी लगी हुई है. इनमें गुजरात, नागालैंड और मणिपुर शामिल है.
लक्ष्यद्वीप में भी शराब पर पाबंदी है.
बिहार में इस महीने हुए विधान सभा चुनाव में नीतीश की अगुआई में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन ने भारी जीत दर्ज की है.
बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश को उन महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा था जो गांव में पुरुषों के शराब पीने की बढ़ती लत से परेशान थीं.
पिछले साल, केरल की सरकार ने 10 साल की शराबबंदी की घोषणा की थी.
इसके बाद बार और होटल के मालिकों ने इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी. इसके बाद पाबंदी में ढील दी गई और बार को बियर और शराब बेचने की इजाज़त मिली.