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फरीदाबाद। सेक्टर 44 सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम में देव दीपावली (कार्तिक पूर्णिमा) बड़ी धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भगवान लक्ष्मीनारायण का विशेष पूजन किया गया एवं समस्त आश्रम परिसर को दीपों से सजाया गया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता भी भगवान को दीपदान करते हैं। इसलिए इस दिन को देव दिवाली कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पूजन, हवन, दीपदान जैसे अनेक कार्यक्रमों के आयोजन का विशिष्ट महत्व होता है। यह पर्व श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भी जोरदार ढंग से मनाया गया।
दिव्यधाम के अधिपति श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने बताया कि एक कथानक अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करके देवताओं को स्वर्ग वापस दिलाया था। तारकासुर के वध के बाद उसके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण कर लिया। इन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या करके तीन नगर मांगे और कहा कि जब ये तीनों नगर अभिजीत नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना क्रोध किए हुए कोई व्यक्ति ही उनका वध कर पाए। इस वरदान को पाकर त्रिपुरासुर खुद को अमर समझने लगे और अत्याचारी बन गए।
त्रिपुरासुर ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया और उन्हें स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया। तब देवताओं की पुकार पर स्वयं महादेव ने त्रिपुरासुर का वध किया। जिस पर देवताओं ने प्रसन्नता जताई। माना जाता है कि उसी दिन से देव दीपावली मनाई जाती है।