एजुकेशन सेस पर बिजनेसमैन और दूसरे प्रोफेशनल्स एजुकेशन सेस की डिडक्शन ले सकते है अपनी टैक्स लायबिलिटी की गणना करते हुए
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फरीदाबाद। दिल्ली ट्रिब्यूनल ऐतिहासिक निर्णय इनकम टेक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (दिल्ली बेंच)ने एक बड़ा फैसला देते हुए कारोबारी करदाताओं को अपनी आय के निर्धारण में एजुकेशन सेस को भी खर्च में बताने की छूट दे दी है। दरअसल रिटर्न में कारोबारी अपनी आय पर टैक्स भरने के साथ ही, इस पर चार फीसदी का एजुकेशन सेस भी देता है, जिसे यदि उसने पचास लाख की आय बताई और इस पर स्लैब के तहत चौदह लाख का आय कर भरा तो इसका चार फीसदी यानि छप्पन हजार रुपया भी देना होता है। इस फैसले के बाद करदाता जब अपनी आय घोषित करेगा तो इसमें से यह छप्पन हजार रुपया घटा देगा और इसे सेस पर खर्च बताकर शेस आय पर स्लैब के तहत टैक्स देगा। इस फैसले से कारोबारी कॉर्पोरेट ग्रुप के साथ ही दूसरे डॉक्टर, इंजीनियर,आर्किटेक्ट, वकील और अन्य प्रोफेशनल को भी फैसले से राहत मलेगी और वह सेस को खर्चे में दिखाकर छूट ले सकेंगे।
इस तरह हुआ ये फैसला
क्रिस्टल ग्रप में असेसमेंट ईयर 2011-12 का रिटर्न दाखिल करते हुए एजुकेशन सेस की डिडक्शन लेना भूल गया और केस स्कूटिनी में आया और आयकर अधिकारी ने इसे खर्चा मानकर छूट देना अमान्य कर दिया। कमिश्नर अपील में भी केस खारिज हो गया। इसके बाद मामला इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल दिल्ली में पहुंचा जहां की संदीप एस नागर (सीए) ने क्रिस्टल की तरफ से दलील पेश की और ट्रिब्यूनल ने एक ऐतिहासिक निर्णय द्वारा एजुकेशन सेस को खर्चा मानकर छूट देना मान्य कर दिया।