-बिहार से आए छोटे लाल शर्मा की कला को कर रहे पसंद
Yashvi Goyal
faridabad। अक्सर देखने में आता है कि दर्जी कपड़े सिलने के बाद बची हुई कतरन को या तो फेंक देते हैं या फिर उस कतरन को झाड़-पोंछ के काम ले लेते हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेला में स्टॉल नंबर 624 पर छोटे लाल शर्मा बची हुई कतरन से साड़ी, जैकेट एवं दुपट्टा बनाकर बेच रहे हैं।
रंग-बिरंगी साड़ी और जैकेट देखकर महिलाएं एक दम से स्टॉल पर रुककर इनके बारे में जानकारी लेती है। स्टॉल मालिक छोटे लाल शर्मा ने बताया कि वह बुनकर हैं। घर में कपड़े सिलने का भी काम होता है। पहले कपड़े सिलकर कतरन बच जाती थी तो उसको फेंक दिया जाता था या फिर उस कतरन को सफाई के काम में लिया जाता था लेकिन अब हम सारी कतरन को संभाल कर रख लेते हैं। उस कतरन को मिलान कर आपस में जोड़ते हैं। उसकी सिलाई कर उसकी साड़ी या जैकट तैयार की जाती है। उन्होंने बताया कि यह साड़ी 9500 रुपये की है जबकि जैकेट 1800 रुपये की है। छोटे लाल ने बताया कि साड़ी को तैयार कर फिर उस पर हाथ से कढ़ाई की जाती है। कढ़ाई के हिसाब से साड़ी का दाम तय किया जाता है। उन्होंने बताया कि एक साड़ी को बनाने में डेढ़ माह का समय लगता है। वहीं जैकेट को 20 से 25 दिन में तैयार कर लिया जाता है।
#क्या खासियत है साड़ी की
छोटे लाल शर्मा ने बताया कि इस साड़ी की खासियत यह है कि इसको दोनों ओर से पहना जा सकता है। यह सबसे अलग दिखाई देती है। सादा-सिंपल साड़ी पहनकर महिलाएं ऊब गई थीं। यह साड़ी महिलाओं को नयापन देगी।
#दर्जी को कतरन न फैंकने की दे रहे सलाह
छोटे लाल शर्मा ने देश के सभी दर्जियों को कतरन न फैंकने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि सभी दर्जी कतरन में से कुछ नया करने की कोशिश करें। ताकि आम के आम और गुठलियों के दाम वसूल हो जाए।