सकारात्मक सोच व धर्य के साथ आगे बढें महिलाएं

सकारात्मक सोच व धर्य के साथ आगे बढें महिलाएं
chanderlata chauhan
जीवा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल चंद्रलता चौहान

-जीवा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल चंद्रलता चौहान ने टुडे भास्कर के साथ सा किए अनुभव
यशवी गोयल
todaybhaskar.com
faridabad। महिलाओं को सकारात्मक सोच के साथ धर्य रखकर ईमानदारी से आगे बढना चाहिए और अधिकार से पहले कर्तव्य को पूरा करना चाहिए। यह बात जीवा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल चंद्रलता चौहान ने विश्व महिला दिवस पर टुडे भास्कर से सा की।
संपन्न एवं संस्कारी परिवार में पली बढ़ी चंद्रलता चौहान का जन्म सन् 1955 में हुआ। चंद्रलता चौहान ने बताया कि उनके स्वर्गीय पिता मूलचंद वर्मा दिल्ली पुलिस में कार्यरत थे। लेकिन उनके विचार बहुत ओपन थे। हमारे पिता जी ने हमेशा ही हमें पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन व यूपी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर पढ़ाई पूरी की। चंद्रलता चौहान ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी की है। उन्होंने चेतक केसरी मैगजीन में बतौर सब एडिटर की पोस्ट पर रहते हुए महिला हितैषी आर्टिकल लिखे, जिनके जरिए उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम किया।

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जीवा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल चंद्रलता चौहान छात्र से बात करते हुए।

वर्ष 1994 में उनके पति षिपाल चैहान ने जीवा पब्लिक स्कूल की नींव डाली। जिसे मजबूती देने के लिए उन्होंने वर्ष 2002 में अपनी केंद्रीय विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़ दी। स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर उन्होंने बतौर प्रिंसिपल स्कूल की बागड़ोर संभाली। यह स्कूल आज अपना अलग और विशिष्ट मुकाम रखता है।
जहां वह जीवा के माध्यम से हजारों बच्चों को शिक्षित बना रही हैं वहीं उन्हें संस्कार भी सिखा रही हैं। चंद्रलता चौहान ने बताया कि हमारे समाज में देवियों की तो पूजा की जाती है लेकिन कहीं न कहीं महिलाओं को उनका सम्मान देना भूल जाते हैं लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि महिला समाज की धुरी है। वह समाज बनाती है, उनसे ही संसार है, इसलिए जहां महिलाओं को सम्मान मिलता है, वहां देवता वास करते हैं।
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान चलाया जा रहा है के प्रश्न पर चंद्रलता कहती हैं कि सबसे पहले समाज को अपना नजरिया व सोच बदलनी होगी, तभी कोई अभियान भी सफलता को पाएगा। चंद्रलता चौहान ने महिलाओं को संदेश में बताया कि उन्हें किसी के साथ अंधी दौड़ में शामिल नहीं होना चाहिए। महिलाओं को चाहिए कि वह अपनी सामथ्र्य और पसंद को जांचकर ही कोई रास्ता चुनें और फिर उसके बारे में पूरा होमवर्क करने के बाद तब तक न रुकें, जब तक कि मंजिल न मिल जाए।

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