एशियन अस्पताल में हुई घुटने की जटिल सर्जरी

एशियन अस्पताल में हुई घुटने की जटिल सर्जरी
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todaybhaskar.com
faridabad| अफगानिस्तान की रहने वाली 10 वर्षीय बी.बी. मार्वा अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। खेलते-खेलते वो अचानक से गिरी और उसके घुटने में चोट लग गई। रोती हुई बच्ची जब अपने माता-पिता के साथ डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने मामूली चोट समझकर बच्ची को इंजेक्शन लगाया, दवा दी और पट्टी कर दी।
इसके बाद डॉक्टर ने 12 दिन बाद पट्टी खुलवाने को कहा 12 दिन के बाद जब पट्टी खोली गई तो चोट की जगह पर बच्ची के घुटने में बहुत ज्यादा सूजन थी। माता-पिता ने मार्वा के घुटने को अफगानिस्तान के  डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टर ने घुटने की बढ़ती सूजन को देखकर पैर का एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे की रिपोर्ट से पता चला कि मार्वा के घुटने की सूजन खेलते हुए गिरने के कारण नहीं है, बल्कि ये घुटने का ट्यूमर है।
डॉक्टरों ने बताया कि यह कैंसर तो पहले से ही मार्वा के पैर में था, लेकिन चोट लगने के कारण यह उजागर हो गया। मार्वा और उसके घरवालों ने कभी  सोचा भी नहीं था कि एक छोटी सी चोट उसे भयंकर बीमारी से रूबरू कराएगी। एक परिचित की सलाह पर बच्ची को भारत के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज़ अस्पताल एवं कैंसर सेंटर में लेकर आए।
एशियन अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले बच्ची की रिपोर्ट और स्थिति देखकर बच्ची की दोबारा बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआईऔर पेट स्कैन द्वारा जांच की गई। जांच करने पर बच्ची के पैर में ऑस्टीयो सारकोमा नाम का कैंसर पाया गया।  जो १० से २० वर्ष की उम्र में होता है। ये कैंसर जल्दी फैलता है। डॉक्टर ने बताया कि कैंसर मार्वा के पैर की हड्डियों को कमजोर कर रहा था। इसलिए डॉक्टरों ने फैंसला किया  कि सबसे पहले कीमो थैरेपी दी जाए ताकि कैंसर बच्ची के शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित न कर सके। इसके अलावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। कीमोथैरेपी से गांठ का आकार छोटा होता गया जिससे बच्ची के पैर बचाने की सर्जरी संभव हो पाई।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थेपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेस्मेंट डॉ. युवराज ने बताया कि  बच्ची के पैर से कैंसर की गांठ निकालना अनिवार्य था। इसके अलावा हमने ऑपरेशन के दौरान इस बात को ध्यान में रखा की बच्ची अभी बहुत छोटी है। आगे उम्र के साथ बच्ची के पैर की लंबाई भी बढ़ेगी। एक ऐसा इम्प्लांट जिसे कस्टम मेड एक्सपेंडेबल मेगा प्रोस्थेसिस कहते हैं स्पेशल ऑर्डर पर बनवाया गया और पांच घटे तक चली बच्ची के घुटने की सर्जरी के दौरान बच्ची के घुटने से जांघ के बीच से निकाली गई ट्यूमर वाली हड्डी की जगह पर लगाया गया। इस कस्टम मेड एक्सपेंडेबल मेगा प्रोस्थेसिस में एक ऐसा स्क्रू लगा होता है जिसके जरिए इम्प्लांट की लंबाई बच्ची के दूसरे पैर की लंबाई के बराबर बढ़ाया जा सके।
कस्टम मेड एक्सपेंडेबल मेगा प्रोस्थेसिस क्या है : यह एक ऐसी डिवाइज़ है जिसे मरीज के शरीर के क्षतिग्रस्त हड्डी की जगह लगाया जाता है। जो छतरी की स्टिक की तरह छोटी और बड़ी हो सकती है। यानि मरीज लंबाई के मुताबिक इस इम्प्लांट की लंबाई को भी बढ़ाया जा सकता है। सर्जरी के दौरान मरीज को हर छह महीने में इसकी लंबाई को बढ़ावाना होता है। यह इम्प्लांट मरीज की कद-काठी के अनुसार ऑर्डर देकर बनवाई जाती है। यह डिवाइज़ स्टेनलेस स्टील और टाइटेनियम की बनी होती है। स्टेनलेस स्टील की बनी डिवाइज़ में एमआरआई नहीं किया जा सकता है और इसका वज़न भी ज्यादा होता है। जबकि टाइटेनियम एमआरआई फ्रेंडली और कम वज़न का होता है।
सेक्टर-२१ स्थित एशियन अस्पताल के ऑर्थोपेडिक ऑनकोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. बृजेश का कहना है कि इस तकनीक का उपयोग फरीदाबाद में पहली बार किया गया है। यह तकनीक पैर के कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान है क्योंकि पहले पैर के कैंसर होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पैर काट दिया करते थे, लेकिन इस तकनीक की मदद से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। यह सर्जरी एशियन अस्पताल की कैंसर टीम,  डायरेक्टर ऑनकोलॉजी सर्जरी डॉ. रोहित नय्यर और सीनीयर कंस्लटेंट और एच.ओ.डी एनेस्थीसिया और ओ.टी. डॉ. दिवेश अरोड़ा की निगरानी में की गई।

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