-पूरे दिन विभिन्न देश प्रदेशों के कलाकारों की प्रस्तुतियों पर झूम रहे लोग
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faridabad। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर रहे सूरजकुंड शिल्प मेला कला एवं संस्कृति का संगम बन चुका है। जहां राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विधाओं व लोक संस्कृतियों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का मंच प्राप्त हो रहा है।
यह बात मेले की सांय संध्या में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयंत खोबरागडे ने कही। उन्होंने कहा कि विश्व एक ग्राम का साक्षात दर्शन सूरजकुंड मेले में बखूबी देखने को मिलता है। जहां देश-विदेश से आए कलाकार अपनी लोकसंस्कृति के माध्यम से दर्शकों एवं श्रोताओं का जहां एक ओर मनोरंजन करते हैं वहीं दूसरी ओर विलुप्त होती हस्त शिल्प के भी आश्चर्यचकित कर देेने वाली वस्तुओं के बारे में भी लोगों को जानकारी हासिल होती है। इस दौरान उन्होंने स्वयं भी एक हिन्दी गाने के माध्यम से विदेशी कलाकारों के साथ श्रोताओं व दर्शकों की ओर से उनकी प्रषंसा में खूब तालियां बटोरीं। इस मौके पर प्रधान सचिव, हरियाणा अशोक खेमका ने कहा कि संस्कृति को संजोकर रखना और उसे आमजन के बीच लेकर आना यह भी अपने आप में किसी कला से कम नहीं। ऐसे में सूरजकुंड हस्त षिल्प मेला एक ऐसा मंच है जहां संस्कृति की विरासत का परिचय कराया जाता है।
इस अवसर पर पार्टनर कंट्री किर्गिस्तान की महिला-युवती कलाकारों द्वारा उनके परंपरागत नृत्यों के अलावा पंजाबी गायक हन्नी सिंह के गाने के बोल हाय हिल ते नच्चै-कैसे नैनों से नैन मिलाउ सजना जैसे अन्य हिन्दी गानों पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। राजस्थान से आए लोक कलाकारों द्वारा लंगा गायन व निंबूडा जैसे गानों पर भी अपनी वीणा व साजो के साथ सुंदर प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर भूमि सुधार निगम के चैयरमेन अजय गौड सहित कई गणमान्य व्यक्यिों ने भी इस सांस्कृतिक संध्या में शिरकत की।
फोटो- सूरजकुंड की चौपाल पर प्रस्तुति देती किर्गिस्तान की कलाकार।