-उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ रियासत की महारानी रतना सिंह का राजपूत समाज ने किया सम्मान
Yashvi Goyal
faridabad। उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ रियासत की महारानी रतना सिंह का आज राजकुल सांस्कृतिक संस्था ने सेक्टर आठ स्थित महाराणा प्रताप भवन में जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर फरीदाबाद जिले की राजपूत समाज की हस्तियां मौजूद रहीं।
यहां महारानी रतना सिंह ने कहा कि राजपूतों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। देश के विकास और समाज की मजबूती के लिए राजपूतों ने हमेशा काम किया। आज भी राजपूतों को समाज की भलाई के लिए एक बार फिर मजबूत होना होगा। उन्होंने कहा कि राजपूत, क्षत्रिय या ठाकुर के नाम से जानी जाने वाली हमारी कौम पूरे देश में फैली हुई है। हमने हमेशा समाज की रक्षा के लिए हथियार उठाए और किन्हीं कारणों से आखिरी बार सन 1857 में ठाकुरों ने हथियार उठाए थे। इसके बाद देश की आजादी के मूवमेंट में अहिंसा का सहारा लेकर हम आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि वह कालाकांकर से आती हैं जहां से महात्मा गांधी जी ने उनके दादाजी महाराज अवधेश सिंह को लेकर विदेशी कपड़ों की होली जलाने की शुरुआत की थी। महाराज जी ने अपने सभी विदेशी वस्त्रों को त्याग कर खादी को अपनाया था। महारानी रतना सिंह ने ठाकुर समाज से अपील की कि वह पहले की तरह धर्म और जातियों से अलग सर्वसमाज के लिए काम करें। यही हमारी असली पहचान है।
उन्होंने कहा कि गेंहू अमेरिका से आया अनाज है जिसने हमें बहुत सारी बीमारियां दे दी हैं। गेेहूं के आने से पहले हमारे देश में बाजरा और ज्वार खाया जाता था और आदमी सौ साल स्वस्थ जीवित रहता था। आज यह गेंहू हमारी बीमारियों के साथ साथ पर्यावरण प्रदूषण का भी कारण बन रहा है। रतना सिंह ने अपील की कि हम पर्यावरण सुरक्षा समाज रक्षा के लिए काम करें। अपने बच्चों को पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं। आज का समय शिक्षा का है। शिक्षा के बिना कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता।
उन्होंने पदमावत पर पूछे सवाल पर कहा कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी है। लेकिन इतना तय है कि राजपूतों का और सभी का अपना इतिहास एवं परंपराएं हैं, जिनसे किसी को भी खिलवाड़ का प्रयास नहीं करना चाहिए। वह बोलीं कि हिन्दी फिल्मों में तो ठाकुरों को पहले से गलत दिखाया जाता रहा है। फिल्मकार बेचने के लिए कहानी ढूंढते हैं। कथित तौर पर ठाकुरों द्वारा स्कूल बस पर हमले पर बोलीं, यह हरकत गलत है, लेकिन यह असमाजिक तत्वों की भी हरकत हो सकती है। पुलिस जांच कर रही है।
उत्तर प्रदेश में एक राजपूत के मुख्यमंत्री बनने पर महारानी रतना सिंह बोलीं वह एक राजपूत से आगे संत भी हैं। हमें उनसे बहुत उम्मीदें हैं कि वह उत्तर प्रदेश का भरपूर विकास करेंगे और समस्त समाज को भयमुक्त करेंगे।
राजपूत समाज में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की स्थिति पर पूछे प्रश्र पर कहा कि मैं इसकी मिसाल हूं। मेरे पिता महाराजा दिनेश सिंह के कोई पुत्र नहीं था, यानि मेरे कोई भाई नहीं था। सो मेरे पिता की रियासत में रहने वालों ने मुझे एक राजकुमार की तरह ही स्वीकार किया और राजकुमारी के बाद महारानी का तमगा भी दिया। समाज ने मुझे चुनकर तीन तीन बार एमपी भी बनाया। महारानी रतना ङ्क्षसह ने कहा कि राजपूत समाज में महिलाओं को हमेशा से सम्मान दिया जाता रहा है और इसे आगे भी सम्मान हासिल रहेगा।
इस अवसर पर हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री शारदा रानी, राजकुल सांस्कृतिक संस्था के प्रधान एस आर रावत, पूर्व आईएएस एच एस राणा, जीवा स्कूल के चेयरमैन डा ऋषिपाल चौहान, रेणु चौहान, हरियाणा प्रोगे्रसिव स्कूल्स कांफं्रेस के अध्यक्ष एस एस गोसाईं, इलेक्ट्रोप्लेटिंग जोन के अध्यक्ष एस एस तंवर, संजय सिंह सोलंकी, एस के सिंह, प्रदीप चौहान आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।