टुडे भास्कर डॉट कॉम
फरीदाबाद। किसी भी पैथी की दवाईयां चाहे वो एलोपैथी या हामोयोपैथी या अन्य का अधिक सेवन करना खतरनाक होता है जो लोग किसी प्रकार का दर्द में दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करते हैं या घर पर इलाज शुरू कर देते हैं। उनकी किडनी या शरीर का अन्य भाग खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है। समय पर डॉक्टरी जांच न करवाने पर बीमारी शरीर में घर कर जाती है और अंत में इलाज कठिन हो जाता है।
यह बात एशियन अस्पताल के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ.जितेन्द्र कुमार ने अस्पताल सभागार में आयोजित एक सेमिनार में कही। इस मौके पर अस्पताल के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. विपिन गुप्ता भी मौजूद थे। सेमिनार का शुभारंभ अस्पताल चेयरमैन डॉ. एन.के पांडे ने किया।
किडनी विषय पर जानकारी देते हुए डॉ. जितेन्द्र कुमार ने कहा कि किडनी रोग आज बदलती जीवनशैली की देन है। आज लोग किडनी रोग से नहीं बल्कि उसके डर से मर जाते हैं। सेमिनार में उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति को खांसी, जुखाम या बुखार होता है तो वे तुरंत डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं लेकिन उन्हें अगर किडनी की बीमारी के बारे में पता चल जाए तो वे डर की वजह से डॉक्टर तक नहीं पहुंचते हैं और न ही डायलेसिस करवाते है। ऐसे लोगों को नीम हकीम के पास न जा कर समय पर पूरी डॉक्टरी जांच करवानी चाहिए तथा डायलेसिस को अपनी शादी की तरह समझना चाहिए।
सेमिनार में उपस्थित अस्पताल के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. विपिन गुप्ता ने कहा कि आज १० फीसदी से अधिक नौकरीपैशा लोगों को पथरी की शिकायत है लेकिन समय पर जांच न करवाने पर यह पथरी व्यक्ति की किडनी को खराब कर सकती है।
पथरी के इलाज के लिए आज अस्पताल में आधुनिक तकनीक उपलब्ध है। बिना चीड़-फाड़ के किसी भी प्रकार की पथरी को आसानी से निकाला जा सकता है। सेमिनार में इस मौके पर सैकड़ों लोग उपस्थित थे। इस मौके पर उन्होंने डॉक्टरों से सवाल जवाब भी किये। कुछ लोगों ने किडनी रोग के बारे में पूछा तो किसी ने विभिन्न लेबोट्री पर किये जाने वाले टैस्ट की रिपोर्ट अलग-अलग आने की जानकारी प्राप्त की।