-एंबुलेंस सुविधा के लिए तीमारदारों को परेशान करने का आरोप
yashvi goyal
faridabad। हरियाणा का सर्वश्रेष्ट जिला सिविल अस्पताल में एंबुलेंस सुविधा न मिलने के कारण मरीज डेढ घंटा बिना इलाज के तड़पता रहा। हालात यह थे कि मरीज के पत्नी की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। अस्पताल में मौजूद नर्सों से बार-बार कहने के बाद भी मरीज को एंबुलेंस नहीं दी जा रही थी। मरीज के तीमारदारों को एंबुलेंस के लिए इधर से उधर घुमाया जा रहा था। अन्य लोगों के कहने पर मरीज को एंबुलेंस की सुविधा दी तो गई लेकिन एंबुलेंस बॉय की ओर से मरीज को एंबुलेंस में नहीं बैठाया गया जिससे मरीज को और अधिक देर अस्पताल में ही तड़पना पड़ा।
हरियाणा के सर्वश्रेष्ट पुरस्कार से नवाजा गया जिला सिविल अस्पताल में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिसका खामियाजा अस्पताल में आने वाले मरीजों को उठाना पड़ता है। परिजनों के अनुसार नरेश को गंभीर बीमारियों के चलते मंगलवार को अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच कर उसे 11 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया था। तीमारदारों ने जब चिकित्सकों से एंबुलेंस सुविधा मांगी तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि बाहर एंबुलेंस कमरा है, वहां जाकर संपर्क करो। तीमारदारों को वहां से भी एंबुलेंस नहीं दी गई तो घंटों मरीज स्ट्रेचर पर पड़ा तड़पता रहा। जब वहां से गुजरने वाले लोगों ने मरीज को एंबुलेंस सुविधा देने के लिए कहा तब कहीं जाकर 12:30 बजे एंबुलेंस आई। मरीज को एंबुलेंस में नहीं बैठाया गया। एंबुलेंस संचालक ने यह कहकर टाल दिया कि यह सेल्फ सर्विस है तो मरीज की पत्नी ने जैसे-तैसे मरीज को एंबुलेंस में बैठाया।
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अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा एक मिनट में मिलती है। कई बार अस्पताल में एंबुलेंस की कमी होती है तो तुरंत किसी पीएचसी या सीएचसी से एंबुलेंस मंगा ली जाती है। एंबुलेंस को आने में 10 से 15 मिनट ही लगते हैं। यदि ऐसा कोई मामला है तो मैं इसकी जांच करूंगा।
-डॉ. रमेश चंद्र, डिप्टी सिविल सर्जन, जिला बीके अस्पताल