एशियन के डॉक्टरों ने युवक के हाथ को दिया नया जीवन  

एशियन के डॉक्टरों ने युवक के हाथ को दिया नया जीवन  
Asian hospital

todaybhaskar.com
faridabad| होली के हुड़दंग के बीच कहीं लड़ाई-झगड़ा तो कहीं छुटपुट दुर्घटनाएं घटीं। ऐसी ही एक दुर्घटना चंदावली निवासी बॉबी सैनी के साथ भी घटी। 19 वर्षीय बॉबी दोपहर करीब तीन बजे नशे की अवस्था में होली खेलते हुए घर की खिडक़ी से जा टकराया और खिडक़ी का शीशा उसके बाएं हाथ पर आ गिरा। जिससे उसका हाथ 15 सेंटीमीटर से भी अधिक भाग कट गया और खून का तेज बहाव होने लगा। घाव इतना गहरा था कि जो नसें पूरे हाथ में खून की सप्लाई करती हैं वो सारी नसें कट गई और हाथ से शरीर का संपर्क टूट गया। ऐसी अवस्था में बॉबी के घरवाले चिकित्सा की आस में इधर-उधर भटकने लगे।
दिल्ली के दो बड़े अस्पताल एम्स और सफदरजंग के ट्रॉमा सेंटर में भी अभाव के चलते इलाज नहीं हो सका। बॉबी की तकलीफें बढऩे लगीं क्योंकि समय बीत रहा था और उसके हाथ की कोशिकाएं मरने लगीं।  नसें सिकुडऩे लगीं और हाथ काटने तक की नौबत आ गई। किसी परिजन के परामर्श पर बॉबी को रात ११ बजे एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिक़ल साइंसेज़ अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लाया गया। डॉक्टरों की टीम तुरंत हरकत में आई और बिना समय गंवाए मरीज को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। चार डॉक्टरों की विशेष टीम जिसमें डॉ. युवराज कुमार , डॉ. अभिषेक, डॉ राकेश कुमार , डॉ. नीति गुलाटी दएनेसथीसिया½ ने मरीज के हाथ का ऑपरेशन किया।
एशियन के हड्डी एवं जोड विभाग के हैड डॉ. युवराज कुमार  का कहना है कि होली का अवसर होने के कारण मरीज को कहीं भी इलाज नहीं मिल सका। घटना के आठ घंटे बीतने के पश्चात मरीज को अस्पताल लाया गया। हमारे लिए ये एक बहुत बड़ी चनौती थी कि हम बॉबी के हाथ को बचा सकें। हमारे वेस्कुलर सर्जन डॉ. अभिषेक ने बड़ी ही निपुणता से हाथ की नसों को जोड़ा। इस ऑपरेशन में तकरीबन साढ़े पांच घंटे का समय लगा।
माइक्रो वेस्कुलर सर्जन डॉ. अभिषेक ने बताया कि जब मरीज को अस्पताल में लाया गया तो उसकी बाएं हाथ की पल्स नहीं चल रही थी। मरीज के हाथ की नसें अंदर की तरफ सिकुड चुकी थीं। ऑपरेशन के दौरान हमने उसी हाथ की दूसरी नसों के कुछ भाग को काटकर द वेन ग्राफटिंग½ खून सप्लाई करने वाली नस के साथ जोड़ दिया। हमें बड़ी खुशी है कि हमने मरीज के हाथ को कटने से बचा लिया और मरीज का हाथ अब पूरी तरह से ठीक है। खून का प्रवाह नियंत्रित रूप से हो रहा है। हाथ और अंगुलियों की गतिविधि ठीक प्रकार से हो रही है। हालांकि घाव गहरा होने के कारण मरीज को कुछ समय तक सर्तक रहना होगा।

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