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faridabad।राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ओल्ड फरीदाबाद की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाईयों ने एन एस एस के एक दिवसीय शिविर के अन्र्तगत प्रार्चाया संदेश सोलंकी के निर्देश में सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर के समभाव-समदृष्टि के स्कूल के दर्शन राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारियों के नेतृत्व में किए।
विद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रभारी रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखते ही राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों की आंखें खुली की खुली रह गई। भवन में प्रवेश करने के उपरान्त भव्य सात द्वारों से होकर निकलते ही उन का कहना था कि फरीदाबाद में इतना सुन्दर दर्शनीय स्थल भी है, जहां इंसानियत का पाठ पढाया जाता हो, इस बारे में उन्हें मालूम ही नही था। मनचन्दा ने बताया कि स्वयंसेवकों को सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर के समभाव-समदृष्टि के स्कूल अर्थात ध्यान कक्ष के माध्यम से सजन-भाव के वर्त-वर्ताव यानि समभाव-समदृष्टि की युक्ति का प्रचार प्रसार एवम् यहां होने वाली कक्षाओं व इन्टरनेट द्वारा होने वाले अन्य प्रोग्राम की जानकारी प्रान्त हुई। उन्होने बताया कि स्वयंसेवको को इस कैम्पस के मुख्य आर्कषण केन्द्र भव्य ध्यान कक्ष की शोभा व निर्मित बनावट से परिचित कराते हुए साथ-साथ यह भी बताया गया कि एकता का प्रतीक ध्यान कक्ष सतयुग की पहचान है तथा मानवता का अभिमान है अत: एकता में बने रहने हेतु हमारे लिए इंसानियत को अपनाना व उसी अनुसार व्यवहार करना आवश्यक है। ऐसा सुनिश्चित करना ही मानव धर्म पर डटे रहने की बात है।
सतयुग दर्शन वसुन्धरा के श्री सज्जन जी, श्रीमति कनिका जी व श्री विजय ने एन एस एस यूनिट प्रभारियों रविन्द्र कुमार मनचन्दा, डा0 रुद्र दत्त शर्मा व रुप किशोर शर्मा तथा स्वयंसेवकों को ध्यान कक्ष में सम्बोधित करते हुए बताया कि सूर्य को जगत का जन्मदाता माना जाता है क्योकि सूर्य में पदार्थ की पूर्णता दिखाई देती है। सूर्य की सूक्ष्म किरणों का प्रवाह पृथ्वी से आकाश की ओर तथा आकाश से पृथ्वी की ओर निरन्तर गतिशील है। सूर्य का ओज, ताप व प्रकाश हमारे शरीर में ़ित्रधातुओं यानि वात, पित और कफ को पुष्ट करता है इस प्रकार सूर्य अपने एक ही ओज को तीन प्रकार से हमारे शरीर में प्रसारित करता है जिस पर हमारी शारीरिक स्वस्थता निर्भर करती है।
विद्यालय की तीनों एन एस एस यूनिट प्रभारियों रविन्द्र कुमार मनचन्दा, डा0 रुद्र दत्त शर्मा व रुप किशोर शर्मा ने सतयुग दर्शन वसुन्धरा के श्री सज्जन जी, श्रीमति कनिका जी व श्री विजय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज समभाव-समदृष्टि के स्कूल अर्थात ध्यान कक्ष के माध्यम से सभी स्वयंसेवको को व्यक्तित्व व चरित्र विकास करने की, भेद-भाव व राग-द्वेष रहित होने की प्रेरणा मिली है। सभी मिलजुल कर मित्रता के भाव से चलें, स्नेहपूर्वक जी-जी का व्यवहार करें ताकि हम सब संगठित हो कर अपने जीवन-लक्ष्य को पूर्ण कर सकें।