भूपानी स्थित सतयुग दर्शन विद्यालय लौकिक और अलौकिक दोनों शिक्षा दे रहा
यशवी
todaybhaskar.com
faridabad। एक आध्यात्मिक केंद्र लोगों को परमात्मा के गुणों से धनी करे और लौकिक शिक्षा भी प्रदान करे तो उसे सतयुग दर्शन वसुंधरा कहेंगे। संस्था के प्रमुख व्यक्तियों का कहना है कि यहां पर मानव को सात प्रमुख द्वारों अथवा चक्रों से गुजारकर सतयुग तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।
फरीदाबाद के भूपानी स्थित सतयुग दर्शन वसुंधरा करीब 36 एकड़ भूमि पर विस्तारित है। यहां पर सात बड़े बड़े द्वार संकेत दे रहे हैं कि मानव को संतोष, धर्य, सच्चाई, धर्म, सम, निष्काम और परोपकार के रास्ते पर चलना चाहिए। इन सातों द्वार को पार कर व्यक्ति ध्यान कक्ष में पहुंचता है तो मानो वह एक अलग युग में ही पहुंच जाता है। ध्यान कक्ष की बाह्य परिक्रमा ऐसा आभास कराती है मानो आप दुनिया के चक्कर काटने के बाद किसी अलौकिक केंद्र में जाकर बैठ गए हों। इस केंद्र के ऊपर शीर्ष पर एक संकेत स्थित है जिसे एकता का प्रतिबिंब कहा जाता है, जो सत्यज्ञान का यज्ञस्थल प्रतीत होता है।
सतयुग दर्शन की फिलॉसफी कहती है-
कलुकाल दी छडो सजनो वृत्ति, सतवस्तु दी वृत्ति धारण करो।
सतवस्तु विच सच दी बोलचाल, सतस सत ही उच्चारण करो।।
यहां पर विशाल कीर्ति स्तंभ पृथ्वी, जल, अग्नि और आकाश को प्रलक्षित करते और याद दिलाते हैं कि यह दुनिया और दुनियावी माया के चक्कर में मत पड़ो, हां इसका ज्ञान अवश्य लो कि तुम वास्वत में हो क्या।
फरीदाबाद से केवल 10 किलोमीटर दूर नहरपार क्षेत्र में स्थित सतयुग दर्शन वसुंधरा परिसर में एक मेडिटेशन हॉल, एक सतसंग हॉल, बुजुर्गो के रहने के लिए 128 कमरे, एक दो हजार लोगों के लिए ऑडिटोरियम, नर्सरी से 12वीं कक्षा तक एक आधुनिक स्कूल, संगीत कला केंद्र, डिसपेंसरी सहित इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट भी स्थित है।
गत वर्ष 10 अक्टूबर को यहां पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम यहां आए थे तो बड़े प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि इस केंद्र में लोगों को सत्यता सिखाई जा रही है, यह बड़ी बात है। ट्रस्टी कैलाश ढींगड़ा बताते हैं कि जब हमारे मन सही हो जाएंगे और तन सही हो जाएंगे तो सतयुग आ जाएगा। वास्तव में कलियुग को मलिन मन के कारण ही है। यहां हम मन को शुद्ध कर रहे हैं जिससे कि सतयुग का आगमन जल्द से जल्द हो।