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faridaabd। मैट्रो अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल ने कहा कि मेरे सहयोगी डाक्टर, जो कि एक सर्जन है तथा अपने स्वास्थ्य के लिए सदैव सेहतमंद जीवनशैली अपनाते है एवं उन्हें मधुमेह, ब्लडप्रेशर जैसी कोई बीमारी नहीं है, अचानक एक दिन मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में हाल ही में लाए गए। वे सीने में तीव्र दर्द की शिकायत कर रहे थे तथा सुबह सैर करते वक्त उन्हें ये दर्द महसूस हुआ। जांच करने पर पता चला कि उन्हें मेजर हार्ट अटैक हुआ था। शुरूआती दवाईयों तथा जांच के बाद उन्हें एंजियोग्राफी के लिए कैथ लैब में ले जाया गया और एंजियोग्राफी में पता चला कि उनकी एलएडी नामक मुख्य धमनी 100 प्रतिशत बंद हो गई थी तुरंत एंजियोग्राफी द्वारा धमनी को खोलकर उनकी जान बचाई गई, फिलहाल वो एकदम ठीकठाक है।
उन्होंने बताया कि 20 प्रतिशत हृदय घात उन लोगों को आते है, जिन्हें पहले कोई भी रिस्क फैक्टर होता है और यह डाक्टर साहब भी उन्हीं 20 प्रतिशत लोगों के वर्ग में आते है। 80 प्रतिशत हृदयघात उन लोगों में होता है, जिनमें एक या एक से अधिक रिस्क फैक्टर होते है, जैसे कि तंबाकू का सेवन, हाई कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, खानपान का ठीक न होना, शारीरिक व्यायाम न करना, पारिवारिक इतिहास आदि। अब प्रश्र यह उठता है कि हमें हार्ट अटैक होने की संभावना का पता कैसे चलेगा, जिससे समय रहते उससे बच सके व उचित समय पर उसका इलाज करा सके ताकि आगे चलकर हम हृदयघात व आस्मयिक मृत्यु से बच सके। दुर्भाग्यवश हृदय की बीमारी का तब तक पता नहीं चलता है, जब तक आर्टरी में मेजर ब्लॉक ना हो। अगर हमारे हृदय को तीनों आर्टरी में 90 प्रतिशत ब्लॉक है तो भी कई बार ईको व ईसीजी नार्मल आती है। स्ट्रैस टेस्ट व टीएमटी भी कई बार हमें ब्लॉक को नहीं बता पाते है और तो और यह टेस्ट 70 प्रतिशत से कम ब्लॉक होने पर ब्लॉक नहीं बता पाते है। कभी कभी सिर्फ 50 प्रतिशत ब्लॉक होने पर ही व्यक्ति को हृदयघात हो जाता है। खासकर अगर वह टेनिस, लानटेनिस व मैराथन जैसे खेल में रूचि रखते है।
हृदयघात का एक प्रमुख कारण कोलेस्ट्रोल की मात्रा का आर्टरी में धीरे-धीरे इक_ा होना है। यह धीरे-धीरे इक_ा होकर एक बडा ब्लॉक बना देता है, जिससे आर्टरी में रूकावट आ जाती है। इसी वजह से हृदयघात होने पर आस्मयिक मृत्यु भी हो सकती है इसलिए हृदयघात के रिस्क को समय रहते पहचानना अत्यंत आवश्यक है। जैसे कि 70 प्रतिशत कम ब्लॉक को ईसीजी, ईको, टीएमटी व थेलीयम इत्यादि टेस्ओं से पता नहीं लगाया जा सकता है सिर्फ सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी टेस्ट के द्वारा जो कि ओपीडी समय में भी किया जा सकता है। सही जानकारी प्राप्त हो सकती है, अगर हमें समय रहते ही ब्लॉक की स्थिति का पता चल जाए तो दवाईयों के द्वारा ही बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। साथ ही साथ आप अपने बीपी शुगर व कोलेस्टोल का खास ध्यान रखते हुए उन्हें कंट्रोल मे रखे। अपने खानपान व शारीरिक व्यायाम का ध्यान रखे व स्वस्थ जीवन को अपना सकते है और ब्लॉक को आगे बढने से रोक सकते है।