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faridabad। 28 फरवरी को दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में आयोजित राष्ट्रव्यापी महा जनान्दोलन में गढ़वाल सभा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी यह घोषणा आज गढ़वाल सभा के अध्यक्ष राकेश घिल्डियाल, कोषाध्यक्ष पी.एन.भटट,प्रेम सिंह पटवाल सहित अन्य पदाधिकारियों व सदस्यों ने बैठक में निर्णय लेते हुए कहा। इस मोके पर राकेश घिल्डियाल ने कहा कि फरीदाबाद गढ़वाल सभा गौ-भक्तों से अपील करती है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर इस महासम्मेलन को सफल बनाये। उन्होंने कहा कि गढ़वाल सभा ने अपने नेतृतव में लगभग 25 से अधिक बसों को लेकर इस महासम्मेलन में शामिल होने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जो भी गौ भक्त इस महासम्मेलन में शिरकत करने जाना चाहता है वह गढ़वाल सभा से सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने बताया कि बस विभिन्न स्थानों से 8 बजे प्रस्थान करेगी।
बैठक को सम्बोधित करते हुए कोषाध्यक्ष पी.एन.भटट एवं प्रेम सिंह पटवाल ने बताया कि इस महासम्मेलन के आयोजक भातरीय गौ क्रान्ति मंच नई दिल्ली एवं निवेदकन श्री गौपाल गौलोक धाम रामेश्वरी भक्ति आश्रम ट्रस्ट देहरादूर उत्तराखंड है। उन्होंने बताया कि यह महासम्ेलन प्रात: 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलेगा और इसमें अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस महासम्मेलन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाये।
राकेश ने बताया कि भारतीय संस्कृति रीति-रिवाजों, परम्परा, मान्यता, वेद पुराण, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण आदि सभी ग्रंथों में गाय को माता के रूप में माना है। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत पर जब जब आक्रमण किया तो वे समझते थे कि गौ और गंगा ही भारत है यदि इनको मिटा दिया जाये तो भारत मिट जायेगा। इसीलिए उन्होंने गौ और गंगा पर आक्रमण किया, अंग्रेजो ने भी गौ और गंगा को मिटाने का षडयंत्र किया जब वे सफल नहीं हुए तो उन्होंने सोचा कि जब तक भारत के लोग गाय को माता कहेंगे तब तक भारत को परतंत्र नहीं किया जा सकता।
भटट ने कहा कि अंग्रेजों ने यह सोचकर योजना बनाई कि गाय को भारतीय के मन मस्तिष्क में पशु के रूप में स्थापित किया जाये और जब ये लोग गाय को पशु मानने लगेंगे तो पशु की हत्या संभव हे यही से भारत का पतन आरंभ हुआ और 1875 की क्रांति भी गाय के कारण ही प्रांरभ हुई थी। इसीलिए हम सभी को गाय को बचाना है और उसकी रक्षा करने का प्रण करना है।