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विफलता के पीछे उड़ी हमला
रिपोर्ट के मुताबिक उड़ी हमले से पहले यूरोप समेत कई अंतरराष्ट्रीय अखबारों और टीवी चैनलों ने कश्मीर को लेकर लगातार खबरें प्रसारित की थीं, लेकिन उड़ी हमले के बाद कश्मीर मसला दब गया और सभी का ध्यान उड़ी हमले पर लग गया। इस वजह से पाकिस्तान को यूएनजीए में विफलता हाथ लगी। यह हमला 18 सितंबर को हुआ था और इसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। अखबार के मुताबिक पाक पीएम नवाज शरीफ फिलहाल संयुक्त राष्ट्र से अपने दोनों बेटों से मिलने लंदन गए हैं। वहां से वह सोमवार को स्वदेश लौटेंगे।
दुनिया का सताने लगी न्यूक्लियर वार की चिंता
अखबार का यह भी कहना है कि उड़ी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव से दुनिया के अन्य देशों को इस क्षेत्र में परमाणु युद्ध छिड़ने की आशंका तक लगने लगी थी। लेकिन उड़ी हमले के बाद आतंकवाद का मुद्दा सभी पर बुरी तरह से हावी हो गया और पाक अपनी मुहिम में नाकामयाब रहा। डॉन के मुताबिक पाकिस्तान ने इस्लामिक सहयोग संगठन के समक्ष अपनी बातों को बेहद मजबूती के साथ रखा था, जिसके बाद ओआईसी ने भारत के खिलाफ रिजोल्यूशन भी पास किया था और कश्मीरियों को अपना भविष्य खुद चुनने देने की बात कही थी।
कश्मीर पर कई देशों से मांगा सपोर्ट
द डॉन के मुताबिक यूनएनजीए के दौरान पीएम शरीफ ने कुछ मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी अलग से मुलाकात कर कश्मीर के मुद्दे पर उनका सहयोग मांगा था। इसके अलावा कुछ देशों ने उनकी इस अपील को माना भी था। इसके अलावा यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने भी अपने प्रतिनिधियों को को पीओके में भेजने की भेजने की बात कही थी।