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faridabad। भूपानी स्थित सतयुग दर्शन वसुन्धरा पर रामनवमी-यज्ञ, वार्षिक-महोत्सव के अवसर पर हर्षोल्लास के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। यह शोभा-यात्रा जैसे ही समभाव-समदृष्टि के स्कूल “ध्यान-कक्ष” में पहुँची तो ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने वर्तमान पारिवारिक, सामाजिक एवं वैश्विक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सजनों से कहा कि समस्त वेद-शास्त्रों, धर्म ग्रंथों आदि के उपलबध होने व उन्हें पढऩे-सुनने के बावजूद भी आज मानव के मन में सत्य आत्मज्ञान को धारण कर एक अच्छा व नेक इन्सान बनने हेतु उस सद्ज्ञान को अमल में लाने के प्रति रुचि पैदा नहीं हो पा रही।
भौतिकवाद व अलगाववाद इसके प्रमुख कारण हैं। इन्हीं के वशीभूत हुआ, आम आदमी का ख़्याल व बुद्धि मायावी जगत में भ्रमित हो, इन ग्रंथों में वर्णित सत्यज्ञान की सूक्ष्मता को पकडऩे के स्थान पर, धर्म के नाम पर मात्र कर्मकांडों व आडमबरों की परिसीमा में बँध कर रह गई है।
नतीजा मानव सद्ज्ञान के प्रयोगात्मक पहलू को अपनाकर सद्मार्ग पर चलने में कठिनाई का अनुभव कर रहा है। उन्होंने कहा कि नि:संदेह भौतिकवाद व अलगाववाद ही इसकी जड़ है। इस तथ्य को न तो हम अस्वीकार सकते हैं व न ही इसकी अनदेखी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मानवों के मन में यह भौतिकवाद व अलगाववाद की सुलगती चिंगारी कहीं भयावह यानि विनाशकारी आग का रूप न ले ले उससे पहले ही मिलकर कुछ ऐसा ठोस कदम उठाना होगा कि हर मानव को मानव-धर्म स्वीकार्य हो। इस संदर्भ में श्री सजन जी ने स्पष्ट किया कि हर मानव को आतंकित करने वाली इस भयावह स्थिति का समाधान न तो परस्पर लड़ाई-झगड़े से निकल सकता है और न ही टकराव व हथियारों से। इसका अगर कोई समाधान है तो वह है हर मानव चाहे वह बाल है या वृद्ध, युवा है या प्रौढ़, उसको समभाव-समदृष्टि के सबक की पढ़ाई व गुढ़ाई करा परस्पर सजन-भाव का वर्त-वर्ताव करने के योग्य बनाना। यही अपने आप में सभी युग-पुरूषों व धर्म-ग्रन्थों का यथार्थता से सममान करते हुए, उखड़े दिल मिलाने का हेतु है। अत: इस हेतु इको दिल बना, समपूर्ण मानव जाति को पुन: एकता के सूत्र में बाँधने का यत्न करना होगा ताकि सब अखंड शान्ति का परमानन्द प्राप्त करते हुए एक अवस्था में बने रह जीवन का हर कार्य निष्काम भाव से कर सकें और इस प्रकार सत्य अनुरूप जीवन जीते हुए मानव धर्म पर खरे उतर सकें।
इस संदर्भ में श्री सजन जी ने सभी उपस्थित सजनों से हाथ जोडक़र प्रार्थना करते हुए कहा कि आज की भटकी हुई व विभाजित मानव जाति को पुन: यथार्थता से एक सूत्र में बाँधने हेतु संगठित रूप से समस्त वेद-शास्त्रों में वर्णित समभाव-समदृष्टि की युक्ति का यथा रूप विधिवत् वर्त-वर्ताव करना व करवाना अपना प्रमुख कर्ताव्य मानो। इस प्रकार समभाव-समदृष्टि की युक्ति के द्वारा सजन-भाव के वर्तवर्ताव में हर मानव को प्रवीण बना एक ऐसी समतापूर्ण नैतिक व्यवस्था कायम करने को उचित प्राथमिकता दो जिसका अनुकरण कर प्रत्येक मानव समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों, मान्यताओं, रूढि़वादिताओं व अंधविश्वास के कारणों से फैली धर्मान्धता, अराजकता, अलगाववाद, अन्याय, शोषण, आतंकवाद, भिन्न-भेद, जातिवाद, अमीरी-गऱीबी जैसी बीमारियों से मुक्त हो समानता के आधार पर न्यायसंगत समाज का निर्माण करने में सफ़ल हो सके।
उन्होंने कहा कि नि:संदेह ऐसी एकछत्र आदर्शतम् सुदृढ़ शासन व्यवस्था को लागू करने के लिए सबको अर्थात् समस्त शिक्षाविदों को, अभिभावकों को, ज्ञानियों को, धार्मिक गुरूओं को, राजनीतिक नेताओं आदि को एकजुट होकर समाज के प्रत्येक वर्ग को एकरस आत्मिक ज्ञान प्रदान कर, उसको कुशलता से अमल में लाने के योग्य बनाना होगा। इस प्रकार सबको इस युक्ति के अनुशीलन में इस तरह प्रवीण करना होगा कि हर मानव, मानव धर्म को ही अपना सर्वप्रिय व एकमात्र धर्म स्वीकारने के लिए बाध्य हो जाए व उस पर स्थिरता से डटे रह सजन-भाव अनुसार आत्मीयता से जीवन जीना अपना सर्वोतम कर्ताव्य माने।
श्री सजन जी ने कहा कि इसी उद्देश्य पूर्ति्त हेतु ही सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर में समभाव-समदृष्टि का स्कूल खोला गया है जिसमें विगत दो वर्षों से बिना किसी भेदभाव यानि रंग-भेद, जाति-पाति, अमीरी-गरीबी यानि वड-छोट के हर आयु-वर्ग के इच्छुक सजनों की कक्षाएँ नियमित रूप से प्रत्येक रविवार लगाई जाती हैं। आत्मिक ज्ञान की विधिवत् शिक्षा प्राप्त कर इस स्कूल के माध्यम से काफ़ी सजन लाभान्वित हो रहे हैं। सबकी जानकारी के लिए ऐसे इच्छुक सजनों को, इस वर्ष से जो गत दो वर्षों में पढ़ाया गया है, उस पर अब तीन वर्ष गुढ़ाया जाएगा यानि ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि आत्मस्वरूप पर खड़े हो यह सजन सजन-युग की बुनियाद को पक्का करने में निष्काम भाव से अपना योगदान दें और सब मिलकर बढ़ सकें सतयुग की ओर।
ट्रस्ट की प्रबन्धक न्यासी श्रीमती रेशमा गांधी ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी रामनवमी महायज्ञ में काफ़ी संखया में श्रद्धालु देश-विदेश से सममलित हुए हैं। यहाँ श्रद्धालुओं के रहने, खाने-पीने व अन्य सुविधाओं का हर प्रकार से समुचित प्रबंध कर दिया गया है। यही नहीं शहर के प्रमुख रेलवे-स्टेशनों एवं बस-अड्डों से भक्तजनों को लाने के लिए विशेष बसों का भी इंतज़ाम किया गया है।