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फरीदाबाद। ग्राम भूपानी स्थित, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देख कर मेवला महाराजपुर सीनियर सैकन्डरी स्कूल के छात्र-छात्राए व अध्यापक दंग हो गए। उनके अनुसार सतयुग की पहचान व मानवता के स्वाभिमान के रूप में प्रसिद्ध यह एकता का प्रतीक समभाव-समदृष्टि का स्कूल जो प्रत्येक मनुष्य को हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई जैसे धार्मिक भेद-भावों से उबर मनुष्यता में बने रहने का पाठ पढ़ाता है, बेमिसाल है। इस अवसर पर अध्यापकों ने कहा कि आज जो परिवार, स्कूल-कालेज व समाज इन बच्चों को नहीं दे पा रहा उसकी आवश्यकता पूर्ति्त इस स्थान से कर सतयुग दर्शन ट्रस्ट वास्तव में अच्छे समाज की परिकल्पना को साकार करने में अतुलनीय भूमिका निभा रहा है।
यहा उपस्थित छात्रों को मानव जीवन की अमूल्य निधि चरित्र के विषय में बताते हुए कहा गया कि चरित्रवान ही उत्तम मनुष्य कहलाने के योग्य होता है क्योंकि वह अपने चाल-चलन पर नियंत्रण रखते हुए सदा अच्छा सोचता, बोलता व करता है। वह जानता है कि अच्छे स्वभाव, व्यवहार और शील का समन्वित रूप ही एक मानव के सदाचारी होने का प्रतीक होता है और अगर कोई मानव अपने जीवनकाल में ऐसा आचरण करने में दक्ष नहीं होता तो उसका चरित्र बिगड़ जाता है। वह यह भी जानता है कि चरित्र बिगड़ा तो जीवन व्यर्थ हो जाएगा क्योंकि सदाचारिता के विपरीत व्यवहारिकता छल-कपट पूर्ण होती है जो आपस में लड़ाई-झगड़े व एक दूसरे को धोखा देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु दूसरों का नुकसान व अनिष्ट करने की बात होती है। इसके अतिरिक्त उन्हें याद रखने को कहा गया कि एक दुश्चरित्र मानव ही किसी व्यक्ति के विषय में झूठी बाते फैला कर व ईष्र्या पूर्ण अलोचना द्वारा उसे समाज की दृष्टि में गिराने का प्रयत्न करता है।
छात्रों ने कहा कि हमें यहा आकर बहुत अच्छा लगा। हम निश्चित ही जो यहाँ हमें समझाया गया है उसे खुद धारेंगे व सबको इस स्कूल के विषय में बताकर सद्ज्ञान लेने के लिए प्रेरित करेंगे।