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श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में 16वें brahmotsavam के तीसरे दिन भगवान नारायण के विवाह में सम्मिलित हुए भक्तगण
Faridabad| श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम shri sidhdata ashram में भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण का विवाह समारोह पूरे हर्ष एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ। भगवान के बाराती बनकर भक्तों में एक अनोखी प्रसन्नता दिखाई दी। जिसका शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है।
यहां जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज के सान्निध्य में चल रहे 16वें ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन यह उत्सव आयोजित हुआ। विभिन्न वाद्य यंत्रों पर नाचते झूमते भक्त गोबिन्दा गोबिन्दा कहते खूब मस्त हो रहे थे। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने माता लक्ष्मी जी का कन्यादान किया। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन भगवान का विवाह हुआ था जिसे हम हर वर्ष मनाते हैं। भगवान की कृपाओं को पाने के लिए भगवान की आरती, भजन, कीर्तन और उनके आयोजनों में शामिल होना चाहिए। गुरु महाराज ने सभी को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
आज ही संप्रदाय के प्रवर्तक भाष्यकार रामानुज स्वामी जी का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी सं या में भक्तों ने एकत्रित होकर परमाचार्य की झांकी निकाली। हाथों में रिंग बिरंगे झंडे, ढोल नगाड़े और धार्मिक जयघोषों के साथ भक्तों ने जमकर नृत्य किया। इस अवसर पर बंचारी के मशहूर नगाड़ा पार्टी ने सभी को जमकर झुमाया। मान्यता है कि करीब एक हजार वर्ष पूर्व धर्म से विरुद्ध आचरण बढऩे पर भगवान के निर्देश पर शेषजी ने रामानुज के रूप में दक्षिण के पेरंबदूर में अवतार लिया और लोगों को धर्म के साथ जोड़ा। उन्होंने गुरु भक्ति और गुरु ज्ञान को आगे स्थापित किया और जीव व ब्रह्म के लिए एक विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत को प्रतिपादित किया। वह करीब 120 वर्ष जीये और पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया।
इस अवसर पर गुरुमहाराज ने रामानुज स्वामी की प्रतिमा का सविधि अभिषेक कर पूजन किया एवं लोकमंगल की कामना की। पांच दिवसीय यह ब्रह्मोत्सव 27 अप्रैल को भगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं अन्य सभी देव विग्रहों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ संपन्न होगा।
श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में 16वें brahmotsavam के तीसरे दिन भगवान नारायण के विवाह में सम्मिलित हुए भक्तगण
Faridabad| श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम shri sidhdata ashram में भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण का विवाह समारोह पूरे हर्ष एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ। भगवान के बाराती बनकर भक्तों में एक अनोखी प्रसन्नता दिखाई दी। जिसका शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है।
यहां जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज के सान्निध्य में चल रहे 16वें ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन यह उत्सव आयोजित हुआ। विभिन्न वाद्य यंत्रों पर नाचते झूमते भक्त गोबिन्दा गोबिन्दा कहते खूब मस्त हो रहे थे। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने माता लक्ष्मी जी का कन्यादान किया। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन भगवान का विवाह हुआ था जिसे हम हर वर्ष मनाते हैं। भगवान की कृपाओं को पाने के लिए भगवान की आरती, भजन, कीर्तन और उनके आयोजनों में शामिल होना चाहिए। गुरु महाराज ने सभी को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
आज ही संप्रदाय के प्रवर्तक भाष्यकार रामानुज स्वामी जी का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी सं या में भक्तों ने एकत्रित होकर परमाचार्य की झांकी निकाली। हाथों में रिंग बिरंगे झंडे, ढोल नगाड़े और धार्मिक जयघोषों के साथ भक्तों ने जमकर नृत्य किया। इस अवसर पर बंचारी के मशहूर नगाड़ा पार्टी ने सभी को जमकर झुमाया। मान्यता है कि करीब एक हजार वर्ष पूर्व धर्म से विरुद्ध आचरण बढऩे पर भगवान के निर्देश पर शेषजी ने रामानुज के रूप में दक्षिण के पेरंबदूर में अवतार लिया और लोगों को धर्म के साथ जोड़ा। उन्होंने गुरु भक्ति और गुरु ज्ञान को आगे स्थापित किया और जीव व ब्रह्म के लिए एक विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत को प्रतिपादित किया। वह करीब 120 वर्ष जीये और पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया।
इस अवसर पर गुरुमहाराज ने रामानुज स्वामी की प्रतिमा का सविधि अभिषेक कर पूजन किया एवं लोकमंगल की कामना की। पांच दिवसीय यह ब्रह्मोत्सव 27 अप्रैल को भगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं अन्य सभी देव विग्रहों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ संपन्न होगा।