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ज्यादातर दिल की बीमारियों के लिए एथिरोमा जिम्मेदार है जिसमें नसों की दीवारों के साथ फैट जमा हो जाता है। इसके चलते नसें संकरी हो जाती हैं और ब्लड फ़्लो सही ढंग से नहीं हो पाता। कई बार यह थक्का टूटकर नसों के बीच में आ जाता है और ब्लड सर्कुलेशन को पूरी तरह रोक देता है। अगर यह थक्का आपकी दिल की नसों में रूकावट पैदा करता है तो हार्ट अटैक की वजह बन सकता है और अगर दिमाग से संबंधित नसों में रूकावट पैदा करता है तो स्ट्रोक की वजह बन जाता है।
हार्ट अटैक/स्ट्रोक के खतरे से खुद को बचाएं
जीवनशैली में कुछ बदलाव करके हम नसों के अंदर होने वाले फैट के जमाव को रोक सकते हैं। इन बदलावों में शामिल है-स्मोकिंग और तंबाकू का किसी भी रूप में इस्तेमाल न करना, स्वस्थ आहार चुनना, नमक का इस्तेमाल कम करना, नियमित शारीरिक व्यायाम अपनाना, अपना वजन और कमर की चौड़ाई नियंत्रण में रखना और ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लेने से बचना।
ब्लड प्रेशर/कोलेस्ट्रॉल है महत्वपूर्ण
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बहुत महत्वपूर्ण है। 40 साल अधिक उम्र के सभी लोगों को कार्डियोवक्युलर हेल्थ रिस्क का मूल्यांकन जरूर कराना चाहिए। अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर यानी डायबीटीज है और हाई कोलेस्ट्रॉल है तो उन्हें यह सब सामान्य स्तर पर लाने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं।
इलाज योग्य अथवा आंशिक इलाज योग्य खतरे
हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई फैट यानी ट्राईग्लिसराइड लेवल, डायबीटीज, किडनी की बीमारियां जो रीनल फेलियर की वजह बनती हैं
ऐसे खतरे जिनमें आप कोई बदलाव नहीं कर सकते
-गंभीर पारिवारिक इतिहास
-पुरूष होना
-महिलाओं में समय से पहले माहवारी बंद होना
उम्र-जितनी ज्यादा उम्र उतना अधिक खतरा
-एशियाई मूल का होना-इन्हें मुख्य नसों संबंधी बीमारियां जल्दी होने का खतरा रहता है
स्मोकिंग से डबल हो जाता है खतरा
धूम्रपान से सीवीडी का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। तंबाकू में मिलने वाले केमिकल ब्लड वेसेल्स और अन्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इनका इस्तेमाल बंद कर देने से खतरा तेजी से कम होता है, लेकिन जो लोग तंबाकू का सेवन अथवा धूम्रपान नहीं करते हैं, उनके स्तर तक पहुंचने में इसे बरसों का समय लग जाता है। ऐसे में इन गंदी आदतों से जितनी जल्दी पीछा छुड़ा लें उतना बेहतर रहता है।
गतिहीन जीवनशैली से बढ़ता है खतरा
रोज 30 मिनट के एक्सरसाइज को जीवनशैली में शामिल कर आप जानलेवा हार्ट अटैक के खतरे को कम कर सकते हैं। और जब इसे जीवनशैली संबंधी अन्य उपायों के साथ जोड़ा जाता है, जैसे कि वजन सामान्य स्तर तक रखना, तब इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। सामान्य दर्जे की शारीरिक सक्रियता ज्यादा प्रभावी होती है, यानी कि आपको एक साथ बहुत सारा पसीना बहाने अथवा सांसें उखाड़ देने वाली एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं होती। तेज कदमों से चलना, जॉगिंग करना अथवा तैराकी बेहतरीन एक्सरसाइज हैं। शारीरिक सक्रियता से आपको वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी और दूसरी ऐसी दिक्कतें होने का खतरा कम रहेगा। यहां तक कि, कम समय के लिए की गई एक्सरसाइज भी आपके दिल के लिए फायदेमंद हो सकती है। ऐसे में अगर आप दिशानिर्देर्शों का पूरी तरह पालन न भी कर सकें तो इससे पीछे न हटें। अगर आप अपने एक्सरसाइज के 30 मिनट के समय को तीन बार में बांटकर 10-10 मिनट एक्सरसाइज करेंगे तब भी आपको फायदा होगा। और कुछ ऐसे काम भी करना याद रखें जो आपको अतिरिक्त फायदे देंगे, जैसे कि-बागवानी, घर के काम, सीढ़ियां चढ़ना और कुत्ते को घुमाना आदि।
वजन पर रखें नजर
अगर आपका वजन सामान्य से अधिक है तब आपको कार्डियोवस्कुलर बीमारियां होने, डायबीटीज और हाइपरटेंशन की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर से तब फैट का अधिकतर हिस्सा आपके पेट और आपकी कमर पर जमा हो, इसकी चौड़ाई 92 सेंटीमीटर से अधिक हो।
हेल्दी डाइट है जरूरी
स्वस्थ आहार लेने से आपका वजन और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहेगा। इससे आपको कार्डियोवस्क्युलर बीमारियां होने का खतरा भी कम रहेगा। रोजाना कम से कम 5 बार फल व सब्जियां खाएं, साबुत अनाज लेना भी बेहतर है। फैट और तेल का इस्तेमाल कम करें। फैटी मछलियों से आने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड फायदेमंद होते हैं।
खाने मे नमक हो कम
एक औसत आहार में 9 ग्राम नमक शामिल होता है, जिसे घटाकर आपको 5 तक लाना चाहिए। इसका मतलब है कि ज्यादा नमक वाली चीजों से आपको बचना है और खाने में अतिरिक्त नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना है।
अल्कोहल की लिमिट
पुरूष हैं तो इसे प्रति सप्ताह 21 यूनिट से कम की सीमा में रखें यानी पुरूषों के लिए 30 ग्राम प्रतिदिन और महिला हैं तो 14 यूनिट प्रति सप्ताह।
कराएं कार्डियोवस्कुलर रिस्क असेसमेंट
-40 से अधिक उम्र के सभी लोग
-ऐसा कोई भी वयस्क व्यक्ति जिसका…
-कम उम्र में कार्डियोवस्कुलर बीमारियां होने का गंभीर पारिवारिक इतिहास हो
-ऐसे व्यक्तियों के रक्त संबंधी जिन्हें अनुवांशिक लिपिड डिसॉर्डर हो।
-अगर आपको पहले से डायबीटीज, हाइपरटेंशन अथवा कार्डियोवस्कुलर बीमारी है तो नियमित जांच कराना बिल्कुल न भूलें।