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faridabad। ग्राम भूपानी स्थित, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखने वसुन्धरा परिसर पहुँचे आज एन टी पीसी सचदेवा पबिलक स्कूल के छात्र-छात्राएँ। सभी की जानकारी के लिए एकता के प्रतीक नाम से प्रसिद्ध इस भव्य स्थल को सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान माना जाता है।
उपस्थित छात्रों व उनके अध्यापकों को सतयुग दर्शन वसुन्धरा के मुखय द्वार पर इस स्थान के शाबिदक अर्थ से परिचित कराते हुए बताया गया कि सतयुग का अर्थ है आने वाला स्वर्णिम युग तथा दर्शन का अर्थ है साक्षात्कार यानि बोध व वसुन्धरा का अर्थ है धरा। इस प्रकार सतयुग दर्शन वसुन्धरा वह पावन धरा है जहाँ से आने वाले युग यानि सतयुग की संस्कृति का न केवल बोध कराया जाता है अपितु उस युग की नीति, रीति व आचार-संहिता को अपने दैनिक जीवन में ढाल कर एक अच्छे व नेक इंसान बनने की युक्ति संगत तालीम भी वसुन्धरा पर निर्मित समभाव-समदृष्टि के स्कूल से दी जाती है।
छात्रों को बताया गया कि यह कार्य समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसार सजन भाव की पढ़ाई को अमल में लाने से ही संभव हो पाएगा। इस मौके पर छात्र-छात्राएं व अध्यापक मौजूद थे।